लोकमतसत्याग्रह/मध्य प्रदेश में रेप, गैंगरेप, नाबालिग से गैंगरेप, आतंकवादियों और मादक पदार्थों के कारोबारियों को अंतिम सांस तक जेल में रहना होगा. सरकार इनके खिलाफ बनी नीति पर सख्ती से अमल करने की तैयारी में है. भोपाल में मंत्रालय में हुई बैठक में इसका फैसला हुआ.
प्रदेश की शिवराज सरकार अब नाबालिग से रेप गैंगरेप, आतंकियों और नशीले पदार्थों का व्यापार करने वाले आरोपियों के खिलाफ नरम रुख अपनाने के लिए तैयार नहीं है. सरकार ने तय किया है कि नाबालिग से रेप, गैंगरेप, आतंकी और नशीले पदार्थों का व्यापार करने वाले अपराधियों को जेल में आखिरी सांस तक रहना होगा. शिवराज सरकार ने आजीवन कारावास के कैदियों की कारावास की अवधि के निर्धारण के लिए तैयार हुई नीति पर सख्ती से अमल करने का संकेत दिया है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई हाई पावर कमेटी की बैठक में निर्णय किया गया कि बच्चों के साथ दुष्कर्म, दो बार रेप के दोषियों को सजा में कोई छूट अथवा माफी नहीं दी जाएगी। इसी तरह आतंकी घटनाओं में लिप्त, टाडा और पाक्सो एक्ट में दोषियों, जहरीली शराब बेचने वाले, ड्रग्स डीलर और प्रदेश में अपराध करने के दोषी विदेशी नगरिकों को भी सजा में कोई छूट नहीं दी जाएगी। सरकार ने प्रदेश में 2012 से लागू नीति में संशोधन कर दिया है।
नरसंहार व राष्ट्रद्रोह के बंदियों को नहीं मिलेगी रिहाई
जघन्य अपराध के दोषी ऐसे बंदी, जिन पर नरसंहार, राष्ट्रद्रोह जैसे मुकदमे हैं, उन्हें रिहा नहीं किया जाएगा। CBI, NIA जैसी केंद्रीय एजेंसियों की विशेष कोर्ट से सजा पाए बंदियों को भी रिहाई नहीं मिलेगी। ऐसे बंदी, जिनसे लोक शांति और कानून-व्यवस्था को खतरा हो सकता है, राज्य सरकार उनकी रिहाई रोक सकती है। इसके लिए बंदियों की पात्रता तय करते समय सरकार से रिपोर्ट मांगी जाएगी।
25 साल से पहले रिहाई नहीं
आजीवन कारावास से दंडित धारा 376 के दोषी बंदी भी 20 वर्ष का वास्तविक कारावास सहित 25 वर्ष पूरे करने से पहले जेल से रिहा नहीं हो सकेंगे. आजीवन कारावास के जिन बंदियों को 14 साल या 20 साल की वास्तविक सजा के बाद रिहाई की पात्रता बनेगी वह भी तभी रिहा होंगे जब कलेक्टर और एसपी और जिला प्रोसिक्यूशन आफिसर की समिति की सिफारिश होगी. जेल मुख्यालय इसकी सिफारिश राज्य सरकार को भेजेगा. सरकार की मंजूरी के बाद कैदी की रिहाई हो सकेगी.
अन्य मामलों में छूट देने तीन स्तरीय कमेटी
जानकारी के मुताबिक हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों को छूट देने के लिए तीन स्तरीय कमेटियों में फैसला होगा। यह कमेटियां जेल, जिला और राज्य स्तरीय पर होंगी, लेकिन डकैती के दौरान हत्या के दोषियों को सजा में कोई छूट नहीं दी जाएगी। ऐसे कैदियों को 20 साल तक जेल में ही रहना होगा। इसके अलावा 70 साल के वृद्ध और 60 साल की महिलाएं, जिन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली है, उनकी प्रतिबंधित श्रेणी को छोड़कर अन्य मामलों में समय पूर्व रिहाई दी जा सकेगी।
