लोकमतसत्याग्रह/देश के 14 हजार से ज्यादा नवनियुक्त शिक्षकों की ट्रेनिंग रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में भेल दशहरा मैदान में हो रही है। प्रदेश में पहली बार इस तरह का प्रयोग किया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने टीचरों को संबोधित करते हुए कहा- आप सब हमारे भांजे-भांजियों के गुरु हैं। शिक्षक नौकर नहीं, निर्माता है। आप बच्चों का भविष्य गढ़ने वाले गुरु हैं। आप जैसे बच्चों को गढ़ेंगे वैसे बच्चे अपना भविष्य गढ़ेंगे।
सीएम ने कहा- सांसद रहते मैं एक स्कूल में गया था। वहां मैंने बच्चों से पूछा बताओ-गंगा जी कहां से निकली हैं। बच्चा बोला-विंध्याचल से। मैंने वहां के गुरुजी से पूछा तो उनका उत्तर था कि साहब 500 में तो गंगा जी विंध्याचल से ही निकलेंगी। शिक्षकों का भविष्य ही चौपट हो गया था। वे दूसरों का भविष्य कैसे बनाते। मैंने गुरुजी के नाते आपको प्रणाम किया है, आप सब मेरे छोटे भाई-बहन हैं, शिक्षक नौकर नहीं निर्माता हैं।आपका जो काम है, वो काम नौकरी का नहीं हैं। आप भूल जाओ कि आप नौकरी करने वाले शासकीय सेवक हैं। आप बच्चों का भविष्य गढ़ने वाले हैं। ये दायित्व बहुत बड़ा है। हमारी जिम्मेदारी है कि खुद को इसके अनुरुप गढ़ लें। अंतरात्मा में एक निश्चय कर लो मैं गुरु हूं और मुझे भविष्य के भारत के लिए बच्चों को तैयार करना है।
सीएम बोले शिक्षकों का सम्मान हमारी प्राथमिकता
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं शिक्षकों के सम्मान में कोई कमी नहीं आने दूंगा और इसके लिए हमारी सरकार कटिबद्ध रहेगी. सीएम ने कहा कि आप सब मेरे भांजे भांजियों के गुरु हैं, गुरुओं का सम्मान बेहद जरूरी है. सीएम ने अपने भाषण की शुरुआत से पहले शिक्षकों को मंच से झुककर प्रणाम भी किया. उन्होंने कहा में अपने स्कूल के समय में शिक्षकों के पैर छू कर प्रणाम करता था और आज आपको प्रणाम कर रहा हूं. इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोगों ने सवाल उठाए कि इनको बुला कर क्या करोगे, इनके लिए पंडाल क्यों लगाया. मैंने शिक्षकों को प्रणाम करने बुलाया है उनसे बात करने बुलाया है जो भारत का भविष्य गढ़ेंगे.
सीएम ने सुनाई अपनी स्कूल की कहानी
सीएम ने अपने स्कूल की कहानी भी सुनाई। उन्होंने कहा कि स्कूल की शिक्षा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। मैं जैत के सरकारी स्कूल में पढ़ा। भोपाल में भी सरकारी स्कूल में पढ़ा। मेरे गुरुजी श्रद्धेय रतनचंद जैन के पैरों पर सिर रखकर आशीर्वाद हमेशा लेता था। मैं बहुत धीरे पढ़ता था, एक दिन गुरुजी ने कहा-बेटा तुम घबराकर क्यों पढ़ते हो। शब्दों का उच्चारण जोर से करो लेकिन स्पीड धीमी रखो। स्कूल में बालसभा होती थी। गुरुजी उसमें रामायण का पाठ कराते थे। बच्चे दोहे चौपाई पढ़ते थे गुरुजी मुझसे भावार्थ पढ़वाते थे।
मेरे गुरूजी ने मुझे एक मंत्र दिया था। शिवराज ये मत समझो तुम गांव में किसान के घर पैदा हुए तो क्या कर सकते हो। उन्होंने मेरे दिमाग में भर दिया कि तुम अनंत शक्तियों का भंडार हो, सब कुछ कर सकते हो। इसके बाद सातवीं कक्षा में मैंने बड़ा आंदोलन कर दिया था। हर बच्चा अनंत शक्तियों का भंडार है। सवाल से है कि बच्चा अपनी शक्तियों को कैसे प्रकट कर पाता है। अगर बच्चे की शक्तियों का प्रकटीकरण हो जाता है तो वह राधाकृष्णनन बन सकता है।
मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में होगी
सीएम ने शिक्षकों से कहा-मप्र में पहली बार मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में होगी। बच्चों को योग की शिक्षा देकर उन्हें निरोगी बनाने की पहल की जाएगी। बच्चों के पालकों से संवाद का एक सिस्टम भी तैयार किया जाना चाहिए। सीएम बोले- बेटियों के साथ दुराचार की 82 फीसदी घटनाओं में पहले से परिचित लोग करते हैं। 5-6 फीसदी ऐसी घटनाओं में निकट के रिश्तेदार होते हैं। कई बार मेरी आत्मा रोती है कि पिता ने बेटी के साथ ऐसा कृत्य किया।
सीएम के संबोधन के बाद तीन शिक्षाविद् भी व्याख्यान के जरिए शिक्षकों को शैक्षणिक पहलुओं से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी देंगे। समारोह के पहले सत्र में एमएड गोल्ड मेडलिस्ट और विदेशी भाषा संस्थान से ट्रेंड शिक्षाविद् टीजी नियोगी शिक्षकों को अलग -अलग विषयों से जुड़ी जानकारी साझा करेंगे।
लंबे संघर्ष के बाद नियुक्ति मिली
प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों के लिए शिक्षक वर्ग-1 और शिक्षक वर्ग-2 के 30 हजार से ज्यादा पदों को भरने के लिए 2018 में नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें वर्ग-1 के 19,200 पद और वर्ग-2 के 11,300 के करीब पद थे। इसके बाद 2200 पद अलग से बाद में जोड़े गए। इन पदों के लिए पात्रता परीक्षा 2019 में आयोजित की गई। उच्च माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा का रिजल्ट 28 अगस्त 2019 को आया और माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा का रिजल्ट 26 अक्टूबर 2019 को आया।इसके रिजल्ट आने के बाद जनवरी 2020 से अप्रैल 2021 तक सभी चयनीत शिक्षकों के सत्यापन की भी प्रक्रिया पूरी कर ली गई।
मप्र की शिक्षा व्यवस्था में कई बदलाव
मप्र की शिक्षा व्यवस्था में कई बदलाव हो रहे हैं। हमने सीएम राइज पर काम शुरू किया है। नेशनल अचीवमेंट सर्वे में हम 17वें स्थान से 5वें नंबर पर पहुंचे हैं। वैश्चिक स्तर पर शिक्षा का बाजारीकरण हो रहा है। इसमें हमें सोचने की जरूरत है। हम अलग-अलग जिलों में भी प्रशिक्षण कर सकते थे, लेकिन सामूहिक शक्ति के भाव के साथ संकल्प लेने का भाव जागृत हो। इस सामूहिकता का भाव प्रकट हो इसलिए यह प्रदेश स्तरीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया। पहले सीखने का काम था अब हमारी नई शिक्षा नीति सिखाने पर जोर दे रही है। अब भारत वो भारत नहीं होगा, जो केवल अपनी भूख मिटाने के लिए काम करे। बल्कि दुनिया के लिए काम करने वाला भारत करेगा। 2047 में भारत विश्व का भरण पोषण करने वाला भारत राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए करेगा।
