लोकमतसत्याग्रह/विदिशा।विदिशा के नंदवाना में राधा रानी की हवेली के पट खुले। 350 साल पुरानी राधा की हवेली साल में सिर्फ एक बार ही राधाष्टमी पर खुलती है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि करीब 350 साल पहले वृंदावन में मुस्लिम शासक मंदिरों को तोड़ रहे थे और मूर्तियों को नष्ट किया जा रहा था। उसे देखते हुए मूर्तियों को सुरक्षित रखने के लिए वैष्णव पंथ के लोगों ने मूर्तियों को गुप्त रूप से वृंदावन से निकाला।
साल भर होती है राधा रानी की गुप्त पूजा
करीब 18 सालों तक देश के अलग-अलग हिस्सों से घूमते हुए वे विदिशा पहुंची। बियाबान जंगल जो अब नंदवाना क्षेत्र कहलाता है। वहां मंदिर को स्थापित किया। मूर्तियों को कोई हानि न पहुंचे इसलिए मंदिर में सिर्फ गुप्त पूजा की जाने लगी। समय के साथ यह परंपरा के स्वरूप में आ गई। वर्तमान समय में नंदवाना क्षेत्र में वृंदावन गली राधा रानी की हवेली में राधा रानी और उनकी सहेलियों की प्रतिमा स्थापित है। साल भर राधा रानी की गुप्त पूजा होती है।
सिर्फ राधाष्टमी पर खोले जाते हैं मंदिर के पट
मंदिर में राधा रानी और उनकी सहेलियों की प्रतिमाएं स्थापित हैं जहां गुप्त रूप से पूजा पाठ किया जाता है। राधाष्टमी के दिन मंदिर के पट आम लोगों के लिए खोले जाते हैं। यहां विदिशा ही नहीं आसपास के और कई जगहों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। रविवार को राधाष्टमी के दिन मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखी गई। श्रद्धालुओं ने राधा रानी के दर्शन किए और पूजा पाठ की। बताया जाता है कि राधा रानी के इस प्रकार के सिर्फ दो मंदिर हैं, एक मंदिर वृंदावन में और दूसरा मंदिर विदिशा में है। पूर्व सीएम उमा भारती पिछले 2 सालों से मंदिर में राधा रानी की पूजा-अर्चना में शामिल हो रही हैं लेकिन इस साल अस्वस्थ होने के कारण वे राधा रानी के दर्शन के लिए नहीं पहुंच सकीं।
