लोकमतसत्याग्रह/उत्तर प्रदेश का 17 साल का एक बेटा गंभीर रूप से बीमार अपने पिता को अपना लिवर डोनेट करना चाहता है। इसके लिए उसने सुप्रीम कोर्ट से इजाजत देने की गुहार लगाई है।
बालक की याचिका पर शीर्ष कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस बालक के पिता को जान बचाने के लिए लिवर की जरूरत है। वह गंभीर रूप से बीमार हैं। चूंकि बालक की उम्र कम है, इसलिए देश के अंगदान कानून इसमें बाधक बन सकते हैं। अब देखना होगा कि विशेष परिस्थिति व बच्चे की पिता की जान बचाने की आकांक्षा के चलते राज्य सरकार व सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला सुनाएगी।
प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा है। यूपी के स्थायी वकील को स्वास्थ्य सचिव लखनऊ को अदालत के आदेश से अवगत कराने को कहा है। याचिका के अनुसार लड़के के पिता की हालत गंभीर है और उन्हें लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत है। इसके लिए बालक ने शीर्ष अदालत से अनुमति मांगी है।
12 सितंबर को यूपी के अधिकारी तलब
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में यूपी के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सोमवार 12 सितंबर को अपने समक्ष उपस्थित रहने को कहा है। यह देखने के लिए कि नाबालिग बच्चा अंगदान कर सकता है? कोर्ट ने मामले का प्रारंभिक परीक्षण करने को कहा है।
भारतीय कानून केवल असाधारण परिस्थितियों में ही नाबालिगों के जीवित अंग दान करने की अनुमति देता है। मानव अंगों के प्रत्यारोपण नियम 2014 में कहा गया है कि नाबालिगों को जीवित अंग या ऊतक दान की अनुमति नहीं दी जाएगी। असाधारण परिस्थितियों में इसकी इजाजत उपयुक्त सक्षम प्राधिकारी और संबंधित राज्य सरकार की पूर्व अनुमति से और तथ्यों की पूर्ण छानबीन के बाद दी जा सकती हैै।
