अब शहर की तरह गांव भी स्वच्छ होंगे:कचरे की भी कुंडली बनेगी, गाड़ी पर जीपीएस और एप में ब्योरा रहेगा

लोकमतसत्याग्रह/आपने सरकारी या बड़ी कंपनियों के ऑडिट के बारे में सुना होगा। सीए या कैग की ऑडिट रिपोर्ट भी देखी होगी, लेकिन कचरे का भी ऑडिट होता है, यह कभी नहीं सुना होगा। भोपाल की 222 पंचायतों में अब कचरा ऑडिट का नया प्रयोग किया जा रहा है। इसके तहत पंचायतों के गांवों से उठने वाले कचरे की पूरी कुंडली बनेगी।

कचरा उठाने वाली गाड़ियों को जीपीएस से लैस किया गया है। जिला पंचायत पर पहली बार स्मार्ट मॉनिटरिंग सेंटर बनाया है, जिससे पता लग जाएगा कि ई-रिक्शा कहां है, कितने किमी चली और उसे अभी कहां होना चाहिए था। इतना ही नहीं, एक मोबाइल एप भी बनाया गया है, जिसमें पंचायतों से उठने वाले कचरे की डेली रिपोर्ट होगी, जिसे आम आदमी भी देख सकेगा। जरूरत पड़ी तो शिकायत भी कर सकेगा।

जिला पंचायत के सीईओ ऋतुराज के मुताबिक कचरा ऑडिट को लेकर भोपाल की जिला पंचायत का यह प्रयोग पंचायतों में पहली बार हो रहा है। इसका मकसद डोर-टू-डोर वेस्ट कलेक्शन को मजबूत करने के साथ ठोस कचरा प्रबंधन पर फोकस करना है।

ये 3 नए प्रयोग करेगा भोपाल, ताकि शहर की तर्ज पर गांवों में भी स्वच्छता बढ़े

1.120 रिक्शा जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम से लैस … भोपाल जिला पंचायत ने अभी 120 ई-रिक्शा को जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम से लैस किया है। 50 ट्राई साइकिल भी लगाई है। जीपीएस से उन सभी की लोकेशन ट्रेस होगी। कचरा उठाने से एमआरएफ सेंटर लाने तक उनपर नजर रहेगी।

2.एप से जान सकेंगे, कचरा उठ रहा है या नहीं… पहली बार वेस्ट ऑडिट के लिए एक मोबाइल एप बनाया है। इसमें गांव से कौन सी एजेंसी कचरा उठा रही है, रोजाना कितना कचरा उठा और निस्तारण के लिए कितना पहुंचा? आम आदमी भी अपने गांव में वेस्ट डिस्पोजल की जानकारी देख सकेगा।

3.स्मार्ट मॉनिटरिंग सेंटर से अफसर नजर रखेंगे… जिला पंचायत दफ्तर में स्मार्ट मॉनिटरिंग सेंटर बनाया है। एक बड़ी स्क्रीन लगाकर जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम से जोड़ा गया है, ताकि कचरा गाड़ी समय पर पहुंची या नहीं, किस रूट पर है, इसका पता रहेगा। इससे वेस्ट मैनेजमेंट मजबूत होगा,स्वच्छता बढ़ेगी।

ईंटखेड़ी में हैं प्रदेश का पहला मटेरियल फैसिलिटी सेंटर

भोपाल जिला पंचायत ने ईंटखेड़ी में प्रदेश का पहला मटेरियल फैसिलिटी सेंटर (एमआरएफ) बनाया गया है। इस पर सभी गांवों से उठने वाला कचरा लाकर रिसायकल प्रोसेस कर 19 प्रकार के कचरे को अलग करके गीले कचरे से खाद व सूखे से सड़क-सीमेंट कंपनियों के काम आने वाली चिप भी बनाई जाएगी।

कचरे से कमाई और महिला स्वावलंबन भी होगा

कचरा प्रबंधन में जिला पंचायत के साथ काम करने वाली सारथी संस्था के संस्थापक इम्तियाज अली के मुताबिक पंचायतों में 93,893 मकान और 5,31,394 आबादी। पंचायतों में रोजाना 102.02 मैट्रिक टन (एमटी) गीला और 25.50 एमटी सूखा वेस्ट मिलाकर कुल 127.52 एमटी कचरा इकट्‌ठा है। कचरे से औसतन एक माह में 8 से 9 लाख रुपए कमाई का अनुमान है। पंचायतों की 2664 महिलाएं डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन में भूमिका अदा करेंगी। उन्हें कमाई का बड़ा हिस्सा मिलेगा।

कचरा ऑडिट लाने का मकसद

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) जिला पंचायत के जिला समन्वयक संतोष झारिया के मुताबिक- कचरा ऑडिट के नए प्रयोग के पीछे मकसद ये है कि डोर टू डोर कलेक्शन नियमित और बेहतर हो। रोजाना गाड़ियों से कचरा उठे और सीधे पंचायत के सेग्रीगेशन सेंटर पर लाया जा सके। इसके बाद वहां से एमआरएफ सेंटर पहुंचे। इससे गांव स्वच्छ रहेंगे और वेस्ट अलग-अलग करने के बाद कमाई भी होगी।

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