लोकमतसत्याग्रह/ग्वालियर में इन दिनों एक युवा DSP और उसकी स्टाइल सोशल मीडिया पर छाई हुई है। तीन दिन पहले वह हाइवे पर एक राहगीर को पुलिस हूटर का मतलब समझाते हुए नजर आए थे तो अब ग्वालियर में पड़ रही हाड़ कपा देने वाली ठंड में अपने ऊनी कपड़े उतारकर एक राहगीर की मदद करते हुए वह नजर आए हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं SDOP घाटीगांव, DSP संतोष पटेल की। रविवार-सोमवार दरमियानी रात वह नाइट गश्त पर थे। तभी पनिहार टोल के पास एक शख्स को उन्होंने हाइवे किनारे खुले में सिर्फ एक प्लास्टिक की तिरपाल से बने कोट के सहारे लेटे देखा। DSP पटेल वहां रुके उससे पूछताछ की। पहले अपनी पुलिसिंग की फिर उसकी पीड़ा को समझते हुए उसे अपनी ऊनी पुलिस की टोपी पहनाई, अपने खुद को गर्म मोजे उतार कर उसे पहनाए। खुद पंगे पैर में ही जूते पहनकर अपनी गाड़ी में बैठकर निकल गए। अब सोशल मीडिया पर DSP की यह मानवता की कहानी खूब चर्चित हो रही है।
दोस्त ने ठुकराया तो राहगीर को DSP ने दिया सहारा
– रात्रि गश्त में निकले घाटीगाँव SDOP संतोष पटेल की टीम को आगरा-मुम्बई नेशनल हाइवे पर पनिहार टोल के पास खुले आसमान में सड़क किनारे पीले रंग की बरसाती, बगल में सुलगती हुई लकड़ियां और पीछे बेंच में ओस से भीगती 2 रोटियां रखी दिखी। रोटियों के बारे में दुकानदार से पूंछा तो पता चला कि कोई व्यक्ति सो रहा है जिसे कोई ट्रक वाला छोड़कर चला गया है। पुलिस ने उसे जगाया तो पता चला कि उसका साथी ड्राइवर जिससे किसी बात को लेकर अनबन हो गयी थी और वह उसे रात के 2 बजे रास्ते मे छोड़कर चला गया है। वह दुकान से 4 रोटी मांगकर लाया था जिसमें से 2 खा ली थी और 2 रखी थी। किसी ट्रक वाले ने 2 गज की पीली बरसाती और एक साल दे दिया था जिससे लिपटा हुआ आग की आंच के सहारे लेटा था। पुलिस ने उसे उठाकर दुकानदार अमर रावत की दुकान के पीछे बनी झोपड़ी में लिटाया और पास में आग जलवा दी।
DSP को लगा अलाव काफी नहीं दे दिए अपने कैप, मोजे
– पर एक पतले से शॉल में हाइवे पर 3 से 4 डिग्री सेल्सियस तापमान पर चलती शीतलहर से वह कंपकंपा रहा था। तत्काल ही वह उठकर आग के पास बैठ गया तब पुलिस को एहसास हुआ कि इतनी ठंड में कैसे नींद आएगी। ठंड के प्रवेश द्वार कान और पैर होते हैं। उसके पास कान बांधने के टोपा नहीं था, पैरों पर जूते मौजे नहीं थे। SDOP संतोष पटेल ने अपने सर पर लगाया मध्यप्रदेश पुलिस की देश भक्ति जन सेवा का ऊनी टोपा उतारकर उसे पहनाया और मौजे भी पहनाए, उसके बाद दुकानदार अमर की झोपड़ी में उस व्यक्ति को सुला दिया। जिसे सुबह किसी वाहन में बैठाकर वापस उसके घर श्योपुर भेजा।
मानवता पर क्या बोले DSP
– जब इस पूरे वाक्ये पर DSP संतोष पटेल से बात की गई तो उन्होंने दैनिक भास्कर को बताया कि उस व्यक्ति को हमारी जरूरत थी इसीलिए ईश्वर ने हमें वहां पर पहुंचाया, अन्यथा हम भी ठंड में अपने घर पर सोते। अच्छे कार्य करने से मन को संतुष्टि मिलती है और उसका प्रचार प्रसार करने से व्यक्ति में समाज सेवा का भाव जागता है। यही देश भक्ति जन सेवा का मूल उद्देश्य है।
