बिड़ला अस्पताल पर 12.37 लाख रु. का हर्जाना:रिटायर्ड जज की पत्नी की कोविड से मौत हो गई थी, कंज्यूमर फोरम ने लापरवाह माना

लोकमतसत्याग्रह/ग्वालियर के बिड़ला अस्पताल (BIMR)पर कंज्यूमर फोरम (शिवपुरी) ने 12.37 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है। फोरम ने यह फैसला रिटायर्ड जज की पत्नी की कोविड से मौत के केस में सुनाया है। फोरम ने अस्पताल, इसके चेयरमैन और अस्पताल चलाने वाले ट्रस्अ बिरला नगर जन सेवा ट्रस्ट को हर्जाने के रुपए देने के आदेश दिए हैं। 1 महीने में रकम देने को कहा है।

उपभोक्ता फोरम से रिटायर्ड जज और वर्तमान में उपभोक्ता फोरम (ग्वालियर) के अध्यक्ष अरुण सिंह तोमर, उनके पुत्र राघवेंद्र सिंह तोमर ने बिड़ला अस्पताल के GM देवड़ा के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में दावा पेश किया था। इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए 97 लाख रुपए की कंपनशेसन देने की मांग की थी। फोरम ने अस्पताल को इलाज में लापरवाही बरतने के मामले में दोषी तो माना है, लेकिन 12.37 लाख रुपए देने के लिए कहा है।

यह था मामला

जेवर चोरी के भी लगे थे आरोप
मामला 2 साल पहले 2021 का है। तब देश कोविड की दूसरी लहर से जूझ रहा था। रिटायर्ड जज अरुण सिंह तोमर की पत्नी सरला देवी 19 अप्रैल को कोविड पॉजिटिव आई थीं। उन्हें बिड़ला अस्पताल में भर्ती कराया गया। 29 अप्रैल की रात 11 बजे सरला देवी की मौत हो गई।

मां की मौत की सूचना पर राघवेंद्र सिंह हॉस्पिटल पहुंचे। बकाया बिल के 3.11 लाख रुपए जमा किए। इस समय तक महिला के शव को कोविड प्रोटेक्शन बैग में पैक कर मुक्तिधाम के लिए भेजा जा चुका था। डॉक्टर ने एक लौंग, पायल परिजन को सौंप दी। शेष सामान उनके कपड़े के बैग में रखा होने की बात कही। दो से तीन दिन बाद जब घरवालों ने बैग खोला, तो इसमें गहने नहीं थे। पेशेंट का ऑक्सीमीटर और 1 हजार रुपए भी गायब थे।

राघवेंद्र की शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात वार्ड बॉय के खिलाफ केस किया था। पुलिस को बताया कि हॉस्पिटल में भर्ती करते समय सरला तोमर दोनों हाथ में सोने की अंगूठी पहने थीं। एक अंगूठी में डायमंड लगा था। इसके अलावा कान में टॉप्स, पैरों में पायल, बिछिया और नाक में लौंग पहने थीं। इससे पहले राघवेंद्र ने हॉस्पिटल मैनेजमेंट को भी इसकी जानकारी दी। उन्होंने विश्वास दिलाया गया कि हॉस्पिटल में लगे CCTV कैमरों के फुटेज देखकर आरोपी को बेनकाब करेंगे। ऐसा हुआ नहीं।

अस्पताल के GM, डायरेक्टर और सीनियर एक्जीक्यूटिव समेत 6 पर भी हुआ था केस

अज्ञात वार्ड बॉय पर चोरी के केस के बाद BIMR के GM गोविंद देवड़ा, डायरेक्टर एसएस देसाई और सीनियर एक्जीक्यूटिव वरिष्ठ कार्यपालक अधिकारी वेद प्रकाश पांडे समेत 6 लोगों पर धोखाधड़ी और लूट की FIR दर्ज हुई थी। बिल में मरीज को जितने रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने बताए गए, वो लगे ही नहीं। साथ ही ट्रीटमेंट चार्ट में जिन दवाओं का जिक्र हुआ, उसके अतिरिक्त भी रकम बिल में जोड़ दी गई। ऐसी शिकायत गोला का मंदिर थाने में की गई थी।

अब खबर पर आते हैं

21 हजार के 16 इंजेक्शन लगाना बतायालेकिन रिकॉर्ड नहीं
केस की पैरवी करने वाले वकील मनोज उपाध्याय ने बताया कि 19 से 29 अप्रैल 2021 के बीच सरला तोमर का बिड़ला अस्पताल में इलाज हुआ। वे कोरोना पॉजिटिव थीं। परिवार ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया था। फोरम में पेश किए गए दावे में बताया गया कि लापरवाही के चलते ही सरला की मृत्यु हुई। अस्पताल को ट्रस्ट चलाता है, इसके बाद भी मरीज के परिवार से ज्यादा फीस वसूली गई। इसके संबंध में दस्तावेज भी पेश किए गए। जिस दिन सरला तोमर की मौत हुई, उसी दिन 21 हजार के 16 इंजेक्शन लगाना बताया गया। इसका कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया। अस्पताल की ओर से रखे गए सभी तथ्यों को फोरम ने खारिज किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद फोरम ने दावे को स्वीकार करते हुए अस्पताल और ट्रस्ट को विभिन्न मद में 12.37 लाख रुपए देने का आदेश दिया।

मानसिक परेशानी के लिए 50 हजार रुपए हर्जाना
उपभोक्ता फोरम (शिवपुरी) की ओर से BIMR हॉस्पिटल पर 12.37 लाख रुपए देने का आदेश दिया गया है। इस हर्जाने की राशि में 50 हजार रुपए भी शामिल हैं। ये पीड़ित पक्ष को हॉस्पिटल की वजह से मानसिक परेशानी के लिए दिया गया है। साथ ही 10 हजार रुपए दावा खर्च के रूप में दिए जाने का आदेश दिया गया है।

हॉस्पिटल मैनेजमेंट का कहना
आदेश से संतुष्ट नहीं, राज्य आयोग जाएंगे
BIMR के GM गोविंद देवड़ा से बात की गई, तो उनका कहना है कि हम आयोग के आदेश का सम्मान करते हैं। मगर आयोग ने प्रकरण के अनेक बिंदु दृष्टिगत नहीं किए हैं। जैसे मेडिकल बोर्ड ने कभी भी चिकित्सकीय सेवाओं में कमी या लापरवाही नहीं पाई है। फिर भी जिला आयोग ने सिर्फ शिकायत के आधार पर आदेश दिया है। साथ ही आयोग ने दस्तावेजों का भी ठीक से मूल्यांकन नहीं किया है। पुलिस ने जिस धोखाधड़ी के झूठे अपराध में खात्मा प्रस्तुत किया है, उसके स्थान पर आयोग ने चोरी के अपराध में खात्मा रिपोर्ट पेश करना लिखा है। हम आदेश से संतुष्ट नहीं हैं और विधिक सहायता लेकर आदेश की अपील राज्य आयोग में प्रस्तुत करेंगे।

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