लोकमतसत्याग्रह/जयारोग्य चिकित्सालय समूह प्रशासन ने आधी-अधूरी तैयारियों के बीच 1000 बिस्तर का अस्पताल भवन हैंडओवर कर लिया। नतीजा- अस्पताल के कई कमरों की दीवारों में अभी से दरारें दिखने लगी हैं। दीवारों पर लगे टाइल्स भी चटकने लगे हैं।
अस्पताल में जगह-जगह गंदगी देखी जा सकती है। दबी जुबान के डॉक्टर कहने लगे हैं कि 450 करोड़ रुपए की लागत से बने नए अस्पताल की बिल्डिंग का कब्जा लेने से पहले पूरी तरह से मुआयना कर लिया जाता तो जो कमियां दिखाई दे रही हैं वह नहीं होतीं।
ग्वालियर पॉटरीज की जगह पर करीब साढ़े तीन साल पहले 1096 बिस्तर के इस अस्पताल भवन का काम साढ़े तीन साल पहले शुरू हुआ था। यह इमारत पिछले साल 20 अक्टूबर को हैंडआेवर हुई थी। 26 नवंबर से विभागों के शिफ्ट होने का काम शुरू हो गया था।
दिसंबर के पहले सप्ताह से ओपीडी नए भवन पूरी तरह शिफ्ट हो गई। यहां ऑपरेशन और वार्ड भी शिफ्ट हो चुके हैं। भवन का कब्जा लेने से पहले यह देखा जाना चाहिए था कि भवन की स्थिति क्या है लेकिन प्रबंधन ने बिना कुछ देखे आनन-फानन में कब्जा ले लिया।
अस्पताल के कई कमरे ऐसे हैं,जिनमें दीवार पर दरार देखी जा सकती है। पहली मंजिल पर ए-ब्लॉक से बी-ब्लॉक पर जाने के लिए बनी दीवार पर लंबी दरार स्पष्ट देखी जा सकती है। जगह-जगह काउंटर बनाए जाने थे,जिसके लिए तार डाले गए हैं, लेकिन तार वैसे ही पड़े हैं काउंटर अबतक नहीं बनाए गए। अगले एक साल में भवन की हालत और खराब हो सकती है।
नलों की टोटियां हो रही हैं चोरी
अस्पताल में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अस्पताल में लगे नलों की टोटियां चोरी होने लगी हैं। मेडीसिन विभाग के दूसरे मंजिल पर बने वार्ड में लगी टोटियां चोर निकाल ले गए। कुछ अन्य विभागों में भी टोटियां चाेरी होने की सूचना है।
बन रहती है जाम की स्थिति
1000 बिस्तर के सी-ब्लॉक की तरफ से अभी मरीजों को प्रवेश करना पड़ रहा है। इस तरफ के गेट के आसपास ठेले और ऑटो व टैंपो वाले खड़े हो जाते हैं जिसके चलते जाम जैसी स्थिति निर्मित हो जाती है। इसके कारण मरीज ही नहीं अस्पताल का स्टाफ भी परेशान होता है।
सफाई के लिए पर्याप्त कर्मचारी नहीं
1000 बिस्तर का अस्पताल तो चालू हो गया लेकिन सफाई व्यवस्था खराब है। जगह-जगह कचरा देखा जा सकता है। इसकी वजह यह है कि जेएएच प्रबंधन के पास सफाई कर्मी उतने ही हैं जितने जेएएच समूह में जगह-जगह विभाग संचालित होते थे।
ओपीडी और पत्थर वाली बिल्डिंग को छोड़कर जेएएच के अन्य अस्पताल के साथ-साथ सात मंजिला 1000 बिस्तर का अस्पताल की भी अब जिम्मेदारी आ गई है जिसके लिए सफाई कर्मचारी कम हैं। हाल ही में केंद्रीय मंत्री सिंधिया के साथ ही हुई बैठक में डीन डॉ. अक्षय निगम ने कहा था कि वह 470 सफाई और सुरक्षा कर्मचारी की डिमांड शासन को भेज चुके हैं। सफाई कर्मचारियों की कमी के चलते अस्पताल की सफाई व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
कमरों पर नहीं लिखे नंबर डॉक्टर तक पहुंचने के लिए परेशान हो रहे मरीज
नए अस्पताल में किस कमरे में कौन से विभाग के डॉक्टर बैठे हैं यह कहीं भी नहीं लिखा है। इसके चलते मरीजों को संबंधित डॉक्टर तक पहुंचने में काफी परेशानी होती है। ताज्जुब की बात तो यह है कि गार्ड और स्टाफ के लोग भी कई बार यह नहीं बता पाते हैं कि मरीज जिस डॉक्टर को दिखाना चाहता है वह किस कमरे में बैठे हैं।
ये पीआईयू की जवाबदारी है
हमने 1000 बिस्तर के अस्पताल को पीआईयू ने हैंडओवर किया है। अगर भवन में काेई कमी है तो पीआईयू की जवाबदेही है। सफाई और सुरक्षा के लिए 470 कर्मचारी मांगे हैं,अनुमति मिलते ही रख लिए जाएंगे। नगर निगम को ठेले हटवाने के लिए पत्र लिखा जाएगा।
–डॉ. देवेंद्र कुशवाह, सहायक अधीक्षक व प्रवक्ता जेएएच समूह
मैं खुद देखने आऊंगा
1000 बिस्तर का अस्पताल अंचल के लोगों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए बनाया गया है। अगर दीवारों में दरार आने लग हैं तो यह गंभीर मामला हैं। ग्वालियर आने के बाद मैं स्वयं इसे देखने जाऊंगा।
–तुलसी सिलावट, प्रभारी मंत्री
