लोकमतसत्याग्रह/ग्वालियर स्थित जीवाजी विश्वविद्यालय में शुक्रवार को छात्रों के बीच जमकर लाते घूंसे चले। मारपीट तब हुई जब अभाविप (ABVP) और एनएसयूआई (NSUI) से संबद्ध छात्र-छात्राएं कुलपति से मिलने पहुंचे थे। प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों ही छात्र संगठनों के सदस्य कुलपति से मिलने प्रशासनिक भवन पर जा रहे थे। इस दौरान दोनों के कार्यकर्ताओं का आमना-सामना हो गया। इसके बाद हंगामा खड़ा हो गया। पुलिस ने बड़ी मशक्कत के बाद छात्रों को अलग-अलग किया। इस घटना के बाद यूनिवर्सिटी कैंपस में भारी पुलिस बल तैनात किया गया।
एनएसयूआई का आरोप– कुलपति अभाविप कार्यकर्ता
दरअसल, चार दिन पहले ही जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अविनाश तिवारी ने भाजपा समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पोस्टर का अनावरण किया था। इसे लेकर एनएसयूआई का आरोप है कि कुलपति अभाविप के कार्यकर्ता हैं। इसी आरोप के साथ पहले से सूचना देकर एनएसयूआई कार्यकर्ता प्रदर्शन करने पहुंचे थे। लेकिन, अभाविप के कार्यकर्ता वहां पहले से एकत्रित हो गए थे। आमना सामना होते ही दोनों में जमकर मारपीट हुई। खास बात यह है कि इस मामले में दोनों ही संगठन के कार्यकर्ता एक दूसरे पर मारपीट का आरोप लगा रहे हैं।
अभाविप के नाम पर असामाजिक तत्व बुला रखे थे : एनएसयूआई
एनएसयूआई के कार्यकर्ता पवन शर्मा का कहना है कि कुलपति को हम ज्ञापन देने आए थे, लेकिन कुलपति ने अभाविप संगठन के नाम पर असामाजिक तत्व बुला रखे थे। उनके इशारे पर एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने उनके साथ मारपीट की। इससे साफ दिखाई दे रहा है कि कुलपति अभाविप के संरक्षक हैं। हमारे कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की गई है। हम शांत नहीं बैठेंगे।
छात्राओं के साथ बदसलूकी की गई : अभाविप
उधर, अभाविप कार्यकर्ता मानवता साहू का कहना है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा भाषा प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा था। इसलिए सभी लोग कुलपति के पास आए हुए थे। उसी दौरान एनएसयूआई के असामाजिक तत्व, जो कि विश्वविद्यालय के भी नहीं हैं, अचानक एकत्रित होकर आए और मारपीट करना शुरू कर दिया। छात्राओं के साथ भी बदसलूकी की गई।
दोनों पक्षों को समझाइश देकर छोड़ दिया
इस मामले को लेकर विश्वविद्यालय थाना प्रभारी मनीष धाकड़ का कहना है कि अपनी अपनी मांगों को लेकर छात्र संगठन के कार्यकर्ता आए हुए थे। इसी दौरान दोनों में कुछ आपत्तिजनक बातें हुईं। उसके बाद विवाद शुरू हो गया। फिलहाल दोनों पक्षों को समझाइश देकर छोड़ दिया गया।
