न ड्राइविंग लाइसेंस, न ट्रेनिंग, सड़कों पर नाबालिग दौड़ा रहे वाहन, खतरे में जान

लोकमतसत्याग्रह/आकाशवाणी तिराहे पर दो नाबालिग छात्रों की मौत का दर्दनाक दृश्य आज तक शहरवासी भूल नहीं पाए हैं। केंद्रीय विद्यालय में कक्षा-9वीं का छात्र दिव्यांशु सोलंकी अपने साथी आर्शीवाद के साथ मार्च 2021 को स्कूल से बाइक लेकर मेला मैदान की तरफ घूमने निकला था। बाइक तेज रफ्तार में थी, डिवाइडर से टकराकर बाइक हवा में उछली और बाउंड्री में जा घुसी। छात्रों के सिर का मांस तक बाहर आ गया था…इस दर्दनाक हादसे में दोनों छात्रों की मौके पर ही मौत हुई थी। यह तो एक उदाहरण है, हर साल ऐसी घटनाएं होती हैं। इसके बाद भी शहर की सड़कों पर वाहनों से फर्राटा भरते नाबालिगों को रोकने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने कोई अभियान नहीं चलाया। इतना ही नहीं ट्रैफिक पुलिस ऐसे वाहन चालकों को लेकर कोई कार्रवाई नहीं करती, इसलिए अभिभावक भी लापरवाही बरते हैं। पुलिस के सामने ही नाबालिग चालक दो पहिया से लेकर चार पहिया वाहन तक दौड़ाते हैं, लेकिन इन्हें टोका तक नहीं जाता। यही लापरवाही हादसों की वजह बनती है। न तो इन नाबालिग चालकों को यातायात नियमों की जानकारी होती है, निर्धारित गति सीमा का ज्ञान नहीं होता न इस तरह की ट्रेनिंग इन्हें दिलाने की जिम्मेदारी अभिभावक ही समझते हैं। बिना ड्राइविंग लाइसेंस के यह लोग गाड़ी दौड़ाते हैं, कार्रवाई नहीं होती, इसलिए कई नाबालिग तो बुलट और हाइ स्पीड जैसी रेसिंग बाइक तक दौड़ाते नजर आते हैं। हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है, लेकिन इस महत्वपूर्ण विषय को लेकर पुलिस अधिकारी भी गंभीर नहीं हैं। यही वजह है, अब नाबालिग चालकों की संख्या बढ़ने के साथ ही हादसे का शिकार होने वालों में नाबालिगों की संख्या भी बढ़ रही है।

दो पहिया और कार ही नहीं इ-रिक्शा चलाकर दूसरों की जान भी खतरे में डाल रहे नाबालिग: शहर में इ-रिक्शा की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वर्तमान में 5 हजार से अधिक इ-रिक्शा हैं। दो पहिया और कार ही नहीं कई नाबालिग तो इ-रिक्शा में सवारियों को बैठाकर ले जा रहे हैं। इससे वह खुद के साथ दूसरों की जान भी खतरे में डाल रहे हैं। अगर इ-रिक्शा चालकों की जांच ट्रैफिक पुलिस द्वारा की जाए तो यह हकीकत सामने आएगी।

एक दिन चेकिंग, पकड़े थे 163 नाबालिग चालक, दूसरे दिन से ही भूली पुलिस: ट्रैफिक पुलिस ने पिछले माह एक दिन ऐसे नाबालिग चालकों को पकड़ने के लिए चेकिंग पाइंट लगाए थे। एक ही दिन में 163 चालक पकड़े गए थे। दूसरे दिन पुलिस अधिकारी भी भूल गए। अगर इस तरह का अभियान लगातार चलाया जाए तब इस पर रोक लग सकती है। चेकिंग के साथ ही पुलिस इस लापरवाही से होने वाले नुकसान के बारे में बताकर जागरुकता अभियान भी चला सकती है।

बिना गियर की गाड़ी चला सकते हैं, इसके लिए भी लेना होगा लाइसेंस: 16 से अधिक और 18 वर्ष से कम उम्र के चालक बिना गियर की गाड़ी चला सकते हैं। लेकिन इसके लिए भी इन्हें लाइसेंस लेना होगा। इसमें भी वाहन का सीसी निर्धारित है।

यह हैं हाट स्पाट, जहां दिनभर नाबालिग दौड़ाते हैं गाड़ियां

लक्ष्मीबाई कालोनी, सिटी सेंटर, राक्सी पुल, रायसिंह का बाग, चिठनीस की गोठ, थाटीपुर चौराहा, केंद्रीय विद्यालय और आकाशवाणी तिराहे के बीच, महाराजा काम्पलेक्स के पास। यह वह स्पाट हैं, जहां सुबह से शाम तक नाबालिग गाड़ियां दौड़ाते मिलेंगे। यहां कोचिंग संस्थान ज्यादा हैं।

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