साल 1991 में हुई थी हत्या, अब फैसला:जज बोले-31 साल में आरोपियों ने ट्रायल व अपील की अग्निपरीक्षा झेली, किया दोषमुक्त

लोकमतसत्याग्रह/ग्वालियर में हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 31 साल पहले हुई एक हत्या में तीन आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है। हत्या साल 1991 में हुई थी। हत्या करने वाला मुख्य आरोपी कई साल पहले ही मर चुका है। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि आरोपी 31 साल से अधिक समय से ट्रायल व अपील की अग्नि परीक्षा झेल रहे हैं। जिस व्यक्ति ने हत्या की थी, उसकी मृत्यु हो चुकी है, जो तीन अपीलार्थी हैं, उन पर हत्या का मामला नहीं बनता है। कोर्ट ने कहा कि यह तीनों सहयोगी आरोपी बनाए गए थे।

अभी तक की जांच में पता चलता है कि वह हत्या की मंशा से भी नहीं पहुंचे थे। वह धारा 34 के अंतर्गत नहीं आते हैं। अब इनको जेल भेजा तो न्याय के हितों की रक्षा नहीं होती है। हत्या के मामले को धारा 302 से परिवर्तित कर 323 कर दिया गया। जितने समय जेल में रहे हैं। उसी को सजा मानते हुए हत्या के मामले में दोषमुक्त कर दिया।

यह है पूरा मामला
साल 1991 में ग्वालियर की सीमा में लगने वाला पंडोखर थाना जो अब दतिया जिले में है। वहां बिजली की लाइन डालने के लिए पेड़ काटे जा रहे थे। काटे गए पेड़ की लकड़ी पर दो पक्षों ने अपने-अपने दावे किए थे। कटी लकड़ी के लिए दाेनों पक्षों में विवाद हुआ। इस विवाद में मारपीट, पथराव हुआ जिसमें तुलसीराम नामक युवक घायल हो गया था। 20 दिन उपचार के बाद उसकी मौत हो गई थी। घटना 15 अप्रैल 1991 की थी। पंडोखर थाना पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया। पर्वत सिंह, पंचू सिंह, उत्तम सिंह, रामचरण के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया था। पुलिस ने तीन महीने बाद जांच के बाद कोर्ट में चालान पेश किया।

साल 2001 में आजीवन सजा हुई, तो हाईकोर्ट में अपील
15 जून 2001 को जिला न्यायालय ग्वालियर ने चारों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। चारों ने 2001 में हाई कोर्ट में अपील दायर की, लेकिन कोर्ट ने सजा को निलंबित कर सभी आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया। इस केस का मुख्य आरोपी पंचू था। उसकी कुछ साल पहले मौत हो चुकी है। हाई कोर्ट ने तीनों आरोपियों को हत्या के मामले में दोषमुक्त कर दिया।

कोर्ट ने कहाजितनी सजा काट चुके हैं काफी है
कोर्ट का कहना है कि आरोपी सीधे तौर पर धारा 34 के तहत आरोपी नहीं माने जा सकते। उनकी मंशा भी हत्या के इरादे से पहुंचने की नहीं थी। वह 31 साल से ट्रायल व अपील की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसलिए उनका कृत्य धारा 302 का नहीं, बल्कि 323 का है। उन्होंने जितनी सजा अभी तक भुगती है, वही उनकी सजा मानकर अब उन्हें दोषमुक्त माना जाता है।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s