लोकमतसत्याग्रह/स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 में अच्छी रैंकिंग पाने के लिए नगर निगम के अधिकारियों ने हर बार की तरह इस बार भी अभी से दावे शुरू कर दिए हैं। तैयारियों के नाम पर अफसरों का पूरा जोर सिर्फ पैसा खर्च करने पर है। यही कारण है कि जमीनी स्तर पर व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हो पा रहा है।
डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के काम में सुधार नहीं हो पा रहा है। लैंडफिल साइट पर भी कचरे के निष्पादन की प्रॉपर व्यवस्था नहीं है। शहर से रोजाना निकलने वाले लगभग 500 टन कचरे के कलेक्शन के साथ परिवहन को लेकर भी लगातार सवाल उठ रहे हैं।
करोड़ाें रुपए खर्च करने के बाद भी स्वच्छता रैंकिंग में लगातार पिछड़ने वाले जिम्मेदार इस बार भी रैंकिंग बढ़ाने को लेकर तरह-तरह के दावे कर रहे हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए बड़े स्तर पर खरीदारी की तैयारी है। शहर सौंदर्यीकरण के नाम पर दीवारों की रंगाई का काम शुरू हो चुका है। इसके साथ अन्य सौंदर्यीकरण कार्यों का संभावित बजट 1.50 करोड़ रुपए रखा गया है।
एक विधानसभा क्षेत्र में आउटसोर्स की तैयारी शहर के एक विधानसभा क्षेत्र में कचरा कलेक्शन और परिवहन का काम आउटसोर्स कराने के लिए निगम एक कंपनी की तलाश कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि यदि एक विधानसभा क्षेत्र में कंपनी द्वारा किया गया कार्य संतोषजनक रहा तो उसका कार्यक्षेत्र और बढ़ाया जाएगा।
पहले किया डस्टबिन फ्री, अब फिर लगाएंगे लगभग तीन साल पहले शहर को डस्टबिन फ्री करने के नाम पर पूरे शहर से डस्टबिन हटवाए गए थे। अब दोबारा से पूरे शहर में आकर्षक डस्टबिन लगाने की तैयारी है। इसके लिए डस्टबिन की एक खेप मंगवा ली गई है।
हम सफाई की व्यवस्था में बदलाव कर रहे हैं
स्वच्छ सर्वेक्षण की तैयारियों के साथ ही हम सफाई की पूरी व्यवस्था में बदलाव कर रहे हैं। वाहनों की संख्या बढ़ाने के साथ ही लैंडफिल साइट के प्लांट का रिनोवेशन कराया जाएगा ताकि लंबे समय तक इन व्यवस्थाओं का लाभ शहर को मिलता रहे।
–किशोर कन्याल, निगमायुक्त
सफाई को लेकर शिकायतों में कमी आई है
पिछले कुछ समय में सफाई को लेकर शिकायतों में कमी आई है। हमसब अलग–अलग क्षेत्रों का निरीक्षण कर रहे हैं। स्वच्छता को लगातार काम किया जा रहा है।
–डॉ. शोभा सिकरवार, महापौर
