लोकमतसत्याग्रह/इस बात को शायद बहुत कम लोग जानते होंगे कि समय भी बिकता है। कई बार माइक्रो सेकंड्स की चूक भी करोड़ों का नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए समय की एक्यूरेसी बहुत जरूरी है। “समय” को लेकर ही सीएसआईआर-नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी (एनपीएल) काम कर रही है और अब जल्द ही बैंकिंग ऑपरेशंस भी इसी के दिए समय से ऑपरेट होंगे।
गौरतलब है कि भारत दुनिया का तीसरा बेस्ट टाइम देने वाला देश है। अमेरिका और जापान पहले और दूसरे नंबर पर हैं। यह बात इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में शामिल होने आए एनपीएल के डायरेक्टर प्रो. वेणुगोपाल आचन्टा ने भास्कर से खास बातचीत में कही।
इसरो, डीआरडीओ और सेना के ऑपरेशंस के लिए समय देते हैं
नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी इसराे, डीआरडीओ सहित सेना के ऑपरेशंस के लिए समय के मानक तय करता है। लेबोरेटरी के डायरेक्टर प्रो.वेणुगोपाल आचन्टा ने बताया कि कारगिल युद्ध के समय यूएस ने जीपीएस का एक्सेस काट दिया था। इस वजह से हमारे जवानों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। उन्हें लोकेशन ट्रेस करने में काफी दिक्कत हुई थी। अब एनपीएल इनके लिए टाइम मैनेजमेंट करती है। इसरो के ऑपरेशंस भी एनपीएल के दिए समय से ऑपरेट होते हैं।
सुरक्षा के लिहाज से जरूरी
प्रो.अचान्टा ने बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से यह जरूरी है कि समय की एक्यूरेसी हम तय करें। अब बैंकिंग सेक्टर भी इसे लागू करेंगे। इसके लिए प्राइमरी चर्चा हो चुकी है और जल्द ही बैंकिंग ऑपरेशन भी एनपीएल के तय मानक से ऑपरेट किए जाएंगे। यानी समय को लेकर हम आत्मनिर्भर होंगे।
क्या है एनपीएल– यहां की घड़ियों में तीन लाख साल में एक बार एक सेंकड की गलती
नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी का समय प्राधिकरण सीज़ियम एटॉमिक क्लॉक्स और हाइड्रोजन मेसर पर आधारित है। इस संस्थान की घड़ियां इतनी सटीक हैं की लगभग तीन लाख वर्षों में वे एक सेकंड की त्रुटि दिखाती हैं। एनपीएल नई दिल्ली में स्थित देश की मीजरमेंट प्रयोगशाला है। इसे राष्ट्रीय मेट्रोलॉजिकल संस्थान (एन.एम.आई.) भी कहा जाता है। खुद का मानक समय होने से फायनेंशियल सिक्युरिटी और मजबूत होगी। अन्य देश सुरक्षा में सेंध नहीं लगा सकेंगे।
