लोकमतसत्याग्रह/इस साल के अंत में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दल तैयारी में जुट गए हैं और सभी की तैयारियों के केंद्र में मप्र का युवा है। इसकी बड़ी वजह है- प्रदेश के 52% वोटर का पूरी तरह यंग होना। ऐसा पहली बार हो रहा है, जब युवा वोटर इतने ज्यादा हैं। प्रदेश में अभी कुल अनुमानित आबादी 8.25 करोड़ है। इनमें 28549138 वोटर ऐसे हैं, जिनकी उम्र 18 से 39 साल के बीच है।
जबकि 40 से ऊपर की आबादी 48% है। साल 2000 में मप्र से अलग होकर छत्तीसगढ़ बना। पिछले चार विधानसभा चुनावों का वोट ट्रेंड देखें तो युवा वोटर ने सरकार बनाने में सबसे अहम भूमिका निभाई है। 1 जनवरी 2023 की स्थिति में मप्र में 53987876 वोटर हैं। इनमें 30 लाख ऐसे हैं, जो पहली बार वोट डालेंगे। इन्हीं नए वोटरों को ध्यान में रखकर राजनीतिक दल अपने कार्यक्रम यूथ पर केंद्रित रख रहे हैं।
युवा सिर्फ वोट, रोजगार कार्यालयों में अभी भी 40 लाख रजिस्ट्रेशन
भारत सरकार के ई-श्रम पोर्टल में मप्र के 1 करोड़ 64 लाख लोगों ने मजदूर के रूप में रजिस्ट्रेशन करवाया है। ये श्रमिक प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने से लेकर हायर सेकंडरी और ग्रेजुएट तक हैं। इसके अलावा 40 लाख शिक्षित बेरोजगार श्रम कार्यालयों में रजिस्टर्ड हैं। इनमें 2020 में ही 12 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया था।
चार चुनावों का ट्रेंड– हर बार 30% से ज्यादा रहे नए वोटर
- 2003- तब 3 करोड़ 79 लाख कुल वोटर थे। इनमें 30% से ज्यादा नए थे। कुल 2.62 करोड़ ने वोट किया। 67.25% वोटिंग हुई थी। भाजपा को कांग्रेस से 10% ज्यादा वोट मिले थे। तब भाजपा 173 तो कांग्रेस 38 सीटें जीती थी। इस चुनाव में बेरोजगारी ही अहम मुद्दा था।
- 2008- कुल 3.62 करोड़ वोट थे, जिनमें 2.51 करोड़ ने वोट किया था। वोटिंग प्रतिशत 69.28 था। कुल वोटरों में 32% युवा थे। भाजपा को कांग्रेस से 5.24% वोट ज्यादा मिले थे। तब भाजपा को 143 और कांग्रेस को 71 सीट मिली थीं।
- 2013- कुल 4 करोड़ 66 लाख वोटर थे, जिनमें से 3,36,12,951 ने वोट किया। युवा वोटर 32% से 35% थे। वोटिंग प्रतिशत 72.07 रहा। भाजपा को कांग्रेस से 8.4 प्रतिशत वोट ज्यादा मिले। भाजपा को 166 और कांग्रेस को 58 सीटें मिली।
- 2018- कुल 5.03 करोड़ वोटर थे, इनमें 3.81 करोड़ ने वोट किया था। वोट प्रतिशत 74.96 था, जो बीते 3 चुनावों में सबसे ज्यादा था। 36% वोटर नए थे। लेकिन भाजपा को कांग्रेस से सिर्फ एक फीसदी ही वोट ज्यादा मिले थे। कांग्रेस को 114 तो भाजपा को 109 सीटें मिली थीं।
