स्टाल लगाने स्टार्टअप से लिए तीन से छह हजार

लोकमतसत्याग्रह/बाल भवन में बुधवार को आयोजित की गई स्टार्टअप और इंवेस्टर समिट सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई। इस समिट के लिए नगर निगम ने कोई प्रचार-प्रसार नहीं किया, इसका नतीजा यह रहा कि स्मार्ट सिटी के इंक्यूबेशन सेंटर में मौजूद स्टार्टअप को ही समय रहते कार्यक्रम की जानकारी नहीं मिली, जिससे वे तैयारी कर पाते। स्थानीय अधिकारियों ने बेल्जियम की ल्यूबिन सिटी से आए छह सदस्यीय दल के सामने इंक्यूबेशन सेंटर सहित स्थानीय स्टार्टअप को बुलाकर महज खानापूर्ति कर ली। सबसे खराब बात यह रही कि जो स्टार्टअप निवेश की तलाश में आए थे, उन्हें स्टाल लगाने के लिए अपनी जेब से तीन से छह हजार रुपये तक खर्च करने पड़ गए। उन्हें निगम की ओर से मुफ्त टैंट तक उपलब्ध नहीं कराए गए। इस पर अधिकारियों का तर्क है कि सही स्टार्टअप को चिह्नित करने के लिए पैसे लिए गए थे। इस स्टार्टअप समिट में ड्रोन के एप्लीकेशन एवं डाटा एनालिसिस से संबंधित कंपनी स्विफनिक्स टेक्नोलाजी एवं व्योम विस्टा के बीच सिर्फ एक एमओयू साइन किया गया। अपेक्षा के अनुसार इंवेस्टर भी नहीं पहुंचे। यूरोपीय यूनियन के एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत ग्वालियर और ल्यूबिन सिटी के बीच हुए करार के क्रम में स्टार्टअप समिट का आयोजन किया गया था। इसमें भाग लेने के लिए ल्यूबिन सिटी की डिप्टी मेयर ललिन वडेरा, सीईओ सिटी आफ ल्यूबिन गेर्टुई वनलू, ल्यूबिन की आर्थिक विभाग की प्रमुख पेट्रीसिया स्कूल मेस्टर्स, ल्यूबिन माइंडगेट के सीईओ जेन पेसेन, केयू ल्यूबिन के पूर्व छात्र विभाग प्रमुख मार्टीन टार्फ्स और इंडिया हाउस ल्यूबिन के निदेशक गीर्ट रोबेरेच्ट्स आए थे। दावे किए गए थे कि इस मीट के जरिए ल्यूबिन और ग्वालियर के युवाओं को बहुत लाभ होगा, लेकिन ये सारे दावे फेल हो गए। बुधवार को स्टार्टअप मीट का आयोजन बाल भवन के खुले मैदान में हुआ, वहीं इंवेस्टर्स को सभागार में बैठाया गया। महापौर डा. शोभा सिकरवार ने इस आयोजन का शुभारंभ किया। इसके बाद यूरोपीय दल ने भी खानापूर्ति कर दी। यूरोपियन दल और स्थानीय अधिकारियों ने सिर्फ स्टालों का अवलोकन किया और कार्यक्रम औपचारिकता बनकर रह गया।

चैंबर, शहर में घूमा दल ल्यूबिन से आए दल के सामने शहर की छवि अच्छी बनी रहे, इसके लिए निगम ने पूरा अमला झोंक रखा था, लेकिन बुधवार को हुई बरसात ने सारी पोल खोल दी। वर्षा के कारण सड़कों पर कीचड़ के ढेर नजर आए, वहीं सीवर चैंबर उफनते रहे। इस बीच यूरोपियन दल शहर में घूम रहा था। शाम के समय इस दल को मेला ले जाया गया, लेकिन मेला में भी सफाई व्यवस्था बेपटरी हुई थी।

राजनीतिक आयोजनों पर करोड़ों खर्च करता है निगम नगर निगम के अधिकारियों का तर्क है कि इस कार्यक्रम के लिए सरकारी पैसा खर्च करने के बजाय इसे आत्मनिर्भर बनाया गया, लेकिन निगम द्वारा पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से लेकर अमित शाह तक के कार्यक्रमों को भव्य बनाने के लिए जनता के टैक्स के करोड़ों रुपयों को पानी की तरह बहा दिया गया। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के कार्यक्रम के लिए तो सितंबर माह में वर्षा के बीच एयरपोर्ट से लेकर ट्रिपल आइटीएम के पास कार्यक्रम स्थल तक रातोंरात सड़क तैयार कर दी गई थी।

इंक्यूबेशन से पहुंचे सिर्फ सात स्टार्टअप

इस स्टार्टअप समिट का प्रचार-प्रसार न होने के कारण खुद स्मार्ट सिटी के इंक्यूबेशन सेंटर के 28 में से सात स्टार्टअप ही कार्यक्रम में पहुंचे। कुछ स्टार्टअप को अंतिम समय में पता चला, लेकिन तब तक उनके पास प्रेजेंटेशन तैयार नहीं थे। कुछ स्टार्टअप यहां स्टाल लगाकर अपने प्रोडक्ट का प्रदर्शन करना चाहते थे, लेकिन पैसे देने की बाध्यता होने के कारण उन्होंने फैसला वापस ले लिया और सिर्फ कार्यक्रम में ही शामिल हुए। कार्यक्रम में कुल 20 स्टाल लगाए गए थे, जिसमें एक टैंट में दो स्टार्टअप को जगह दी गई थी। इस प्रकार कुल 40 स्टार्टअप ने यहां स्टाल लगाए।

इस मीट में सही स्टार्टअप आएं, इसी कारण हमने उनसे स्टाल लगाने के पैसे लिए थे। रुपये के बदले में उन्हें सुविधाएं मुहैया कराई गईं। सिर्फ नाश्ता ही 500 रुपये प्रति प्लेट के हिसाब से था।

पवन दीक्षित, कार्यक्रम समन्वयक

यह आत्मनिर्भर आयोजन था। इसमें पैसे इसलिए लिए गए, क्योंकि हम एक उदाहरण देना चाहते हैं कि बिना सरकारी पैसा खर्च किए भी ऐसे आयोजन किए जा सकते हैं। इसमें नगर निगम की कोई राशि खर्च नहीं हुई। हमने स्टार्टअप को एक मंच उपलब्ध कराया है। ल्यूबिन के विशेषज्ञों से उनका परिचय हुआ है। यही नगर निगम की भूमिका थी।

किशोर कान्याल आयुक्त नगर निगम

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