तला भोजन व धूम्रपान युवाओं को दे रहा ह्दयघात

लोकमतसत्याग्रह/ सर्दी के मौसम में मौत के आंकड़े बढ़े हैं। जयारोग्य अस्पताल (जेएएच) के कार्डियोलाजी विभाग की ओपीडी में 50 साल से कम उम्र के लोग ह्दयघात की समस्या लेकर पहुंचे। यहां पिछले एक महीने में करीब एक हजार मरीज पहुंचे। इनमें 60 प्रतिशत मरीज धूम्रपान की लत के शिकार थे या फिर घर से बाहर के खानपान के कारण बीमार हुए थे। डाक्टरों का कहना है कि यह दो कारण युवाओं को ह्दयरोगी बना रहे हैं। इसलिए सावधानी रखें और धूम्रपान व बाहरी भोजन का सेवन न करें। वहीं सर्दी लगने से लोगों में न्यूरो संबंधी परेशानी भी बढ़ी है। कार्डियोलाजी व न्यूरोलाजी विभाग में पिछले एक महीने में करीब डेढ़ सौ मरीज अपनी जान गंवा चुके हैं। मेडिसिन विभाग के डा. आशीष तिवारी का कहना है कि गाय के घी में दो फीसद फैटी एसिड होता है, इसलिए खाने में गाय का घी का उपयोग लाभदायक होता है। भैंस के घी में 11 फीसद फैटी एसिड होता है। वहीं सरसों का तेल बार-बार गर्म होने पर उसमें एंटीआक्सीडेंट की संख्या में कमी आ जाती है। न्यूरोलाजिस्ट डा. अरविंद गुप्ता का कहना है कि बुजुर्गों की नसें कमजोर होने लगती हैं। ठंड के समय उनमें संकुचन आ जाता है। ऐसे में खून की सप्लाई ठीक नहीं रहती। बीपी व शुगर के मरीजों में नसों का ब्लाकेज होने पर दिमाग में खून की सप्लाई ठीक से न होने के कारण खून का थक्का जमने से ब्रेन हेमरेज या ब्रेन स्ट्रोक के केस बढ़ जाते हैं, जो मौत का कारण भी बन रहे हैं।

यह तीन कारण लोगों को बना रहे ह्दयरोगी

जेएएच के कार्डियोलाजिस्ट डा. गौरव कवि भार्गव का कहना है कि पैक्ड फूड का सेवन, घर से बाहर का भोजन व धूम्रपान बड़ी समस्या बन रही है। द्य पैक्ड फूड: पैक्ड फूड को लंबे समय तक सुरक्षित बनाए रखने के लिए उसमें प्रिजरवेटिव का उपयोग होता है, जो शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। द्य बाहरी खानपान: चौपाटी, रेस्टोरेंट व अधिकांश होटल आदि में भोजन तैयार करने में सस्ते खाद्य तेल का उपयोग होता है। इस तेल को बार-बार गर्म करने पर उसमें आक्सीडेंट की मात्रा बढ़ जाती है और एंटीआक्सीडेंट कम हो जाता है, जो नसों में संकुचन पैदा करता है। द्य धूम्रपान: ठंड के मौसम में लोग अधिक धूम्रपान करने लगते हैं। युवाओं में धूम्रपान की लत भी उन्हें ह्दयरोगी बना रही है, क्योंकि धूम्रपान से नसों में संकुचन पैदा होता है।

नसों में है ब्लाकेज तो यह करें

डा. भार्गव का कहना है कि इन दिनों जेएएच में दो समस्याओं से पीड़ित मरीज अधिक आ रहे हैं। एक वह मरीज जिनकी नसों में खून का थक्का जमा होता है और दूसरे वे जिनकी हृदय की पंपिंग धीमी हो चुकी होती है। जिन लोगों को नसों में ब्लाकेज की समस्या है, वह प्रोटीन अधिक लें। इसके लिए अंकुरित दाल, पनीर, सोयाबीन, एगवाइट, वायल चिकन आदि ले सकते हैं। इसी तरह हृदय की पंपिंग कम होने वाले मरीज पानी की निर्धारित मात्रा डेढ़ से दो लीटर पीयें। यदि स्टेंट डला है तो खून पतला करने की दवा लें तथा डाक्टर के संपर्क में रहें। इसी के साथ लहसुन, टमाटर, अनार, बींस, मछली और हरी सब्जियां का सेवन करें।

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