ग्वालियर। 397 करोड़ की लागत से तैयार हजार बिस्तर अस्पताल बदबू मार रहा है। अभी इसका उद्घाटन भी नहीं हो सका और इसकी दीवारों पर गुटखा, तंबाकू व पान की पीक के दाग लग चुके हैं। मरीज जमीन पर पड़े है और फर्स पर गंदगी है। जिस पर महीनों से झाड़ू और पौंछा तक नहीं लगा है। गजब की बात यह है कि अस्पताल के प्रबंधन से लेकर सहायक अधीक्षक और अधीक्षक तक का कार्यालय अस्पताल में मौजूद है। इसके बाद भी इन्हें मरीजों की परेशानी दिखाई नहीं दे रही है।
मेडिसन वार्ड के बुरे हाल
हजार बिस्तर अस्पताल में मेडिसिन वार्ड सी-ब्लाक में दूसरी, तीसरी, चौथी और पांचवीं मंजिल पर 60-60 बेड के वार्ड बनाए गए हैं। लेकिन इनमें बेड संख्या अधूरी है। इस कारण से मरीजों को जमीन पर लेटाकर इलाज देना पड़ रहा है, जबकि चार मंजिल पर 240 बेड उपलब्ध होना चाहिए पर बेड संख्या 200 के आसपास है। बाकी के बेड जेएएच में रखे हुए हैं जिन्हें डाला ही नहीं गया। इससे हजार बिस्तर बनने के बाद भी मरीजों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। छठी मंजिल पर 50 बेड का मेडिसिन आइसीयू बना हुआ है।
पार्किंग के नाम पर लूट नहीं हुई बंद
हजार बिस्तर अस्पताल में वाहन पार्किंग के नाम पर मरीज के अटेंडेंटों से खुलेआम वसूली चल रही है। यही नहीं ठेकेदार के कर्मचारी मरीज के अटेंडेंट को धमकाने से भी गुरेज नहीं करते। बुधवार को ग्वालियर के राजेन्द्र जैन अपनी मां को दिखाने के लिए हजार बिस्तर अस्पताल पहुंचे थे। तब ठेकेदार के लोगों ने पार्किंग शुल्क के नाम पर उनसे 10 रुपये ले लिए पर पर्ची नहीं दी। जब वह वापसी में लौटे तो पर्ची की मांग की गई। जिसको लेकर बहस हुई। राजेन्द्र का कहना था कि ठेकेदार के लोग उसे मारने के लिए आ गए तो मुझे फिर दस रुपये देकर दोबारा पर्ची कटवानी पड़ी। इस तरह से वाहन पार्किंग के नाम पर लूट की जा रही है। जितने बार अस्पताल में आओ उतनी बार पर्ची काट दी जाती है, जबकि पर्ची कितने समय के लिए वैध है इसके लिए प्रवेश द्वार पर बैनर पोस्टर लगाकर अटेंडेंट के लिए जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए। लेकिन जेएएच के जिम्मेदार वाहन पार्किंग की वसूली पर आंख बंद कर बैठे हुए हैं। इसलिए ठेकेदार के लोग भर्ती मरीज के अटेडेंटों का पास बनाने के नाम पर 100 रुपये तक वसूल कर रहे हैं।
मेडिसिन वार्ड के लिए बेड जेएएच में तैयार रख दिए गए हैं। लेकिन खुद एचओडी उन्हें नहीं मंगवा पा रहे हैं, जबकि सरकार से हर विभाग को हर महीने खर्च करने के लिए 20 हजार रुपये मिलते हैं। फिर भी मैं अगले दो दिन में बेड डलवा दूंगा। विभाग प्रमुखों को अपने विभाग पर ध्यान देना चाहिए। अस्पताल में बदबू व गंदगी को लेकर मैं जिम्मेदारों पर एक्शन लूंगा। पार्किंग व्यवस्था भी ठीक कराता हूं।
डा अक्षय निगम, डीन गजराराजा मेडिकल कालेज
