लोकमतसत्याग्रह/18 फरवरी यानी शनिवार को महाशिवरात्रि है। इस मौके पर हम आपको ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताते हैं, जहां शिवजी जज की भूमिका में विराजते हैं। जानकर आश्चर्य होगा, लेकिन यह सच है कि यहां कोर्ट की तरह हत्या, लूट जैसे मामलों की भी सुनवाई होती है। इसे लोग ‘मजिस्ट्रेट महादेव’ के नाम से जानते हैं। मंदिर के पुजारी भरतदास बाबा की मानें तो रेप के आरोप में जेल में बंद मिर्ची बाबा उर्फ वैराग्यनंद गिरि को भी यहां सजा मिल चुकी है। पुजारी का दावा है कि जिस रात मिर्ची बाबा अरेस्ट हुआ था, उसी दिन सुबह मंदिर में बाबा ने झूठ बोला था।
आगे बढ़ने से पहले मंदिर के बारे में जान लेते हैं
यह मंदिर है मध्यप्रदेश के ग्वालियर में। जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर गिरगांव महादेव। यहां लगती है शिवजी की अदालत। इसमें जज होते हैं शिवजी। यही कारण है कि इन्हें जज महादेव या मजिस्ट्रेट महादेव के नाम से भी लोग जानते हैं। मंदिर में हर तरह के मामलों की सुनवाई होती है। यही नहीं, सुनवाई के बाद फैसला भी सुनाया जाता है। माना जाता है कि फैसला नहीं मानने, अदालत में झूठ बोलने वाले को नुकसान उठाना पड़ता है। वैसे, मिर्ची बाबा का इकलौता मामला नहीं है, ऐसे कई केस है, जिनमें आरोपी को सजा मिली। मंदिर के बारे में जानने से पहले कुछ रोचक मामले जान लेते हैं…।
… जब रातों–रात अरेस्ट हुए थे मिर्ची बाबा
मंदिर के पुजारी भरतदास बाबा का दावा है कि पिछले साल यानी 2022 में अगस्त महीने की बात है। मिर्ची बाबा उर्फ वैराग्यनंद गिरि गिरगांव महादेव पर श्रीमद भागवत कथा करवाने वाले थे। उन्होंने इसके लिए लोगों से चंदा भी इकट्ठा किया। चंदे का पूरा पैसा मिर्ची बाबा के पास ही था। 8 अगस्त की सुबह चंदे के पैसे को लेकर समिति और मिर्ची बाबा के बीच विवाद हुआ।
हमने मिर्ची बाबा से पूछा कि चंदे में से एक पैसा भी आपने अपने हित में खर्च तो नहीं किया है। मिर्ची बाबा ने महादेव की कसम ली कि उन्होंने एक भी रुपए का गलत उपयोग नहीं किया। यहां तक कि एक रुपए की चाय तक नहीं पी। यदि उन्होंने ऐसा कुछ किया हो, तो वह सुबह तक मंदिर में वापस नहीं लौट सकेंगे। इतना कहकर बाबा एक होटल के लिए निकल गए। इसके बाद उसी रात मिर्ची बाबा को ग्वालियर पुलिस ने रेप के मामले में गिरफ्तार कर लिया। वे यहां वापस लौटकर नहीं आए।
पति ने साबित किया, वह चरित्रहीन नहीं
साल 2021 में गांव की एक महिला ने पति पर आरोप लगाया था कि उसका किसी अन्य महिला से संबंध है। पति के चरित्र पर संदेह होने पर आए दिन झगड़े होते थे। आखिर में परिवार के सदस्यों ने फैसला किया कि महादेव की अदालत में मामला ले जाएंगे। मामला कोर्ट में पहुंचा। यहां महिला और उसके पति को बुलाया गया। महिला ने पति पर आरोप लगाते हुए महादेव की कसम लेने को कहा था। पति ने सफाई देने के बाद कसम उठाई थी। पंचों ने फैसला दिया कि सात दिन के अंदर आर्थिक नुकसान न होने पर वह निर्दोष माना जाएगा। सात दिन गुजर जाने के बाद भी पति को नुकसान नहीं हुआ। इसके बाद महिला ने पति पर दोबारा विश्वास कर लिया।
झूठी कसम ली, घर पहुंचा तो बेटे की लाश मिली
मंदिर के पुजारी के मुताबिक कुछ साल पहले की बात है। एक ही परिवार के दो पक्षों में पांच लाख के सीतारानी हार चोरी को लेकर विवाद था। छोटे भाई की पत्नी ने जेठ-जेठानी पर आरोप लगाए थे। महादेव की अदालत में दोनों पक्षों ने गवाह पेश करते हुए बात रखी। आखिर में जेठ-जेठानी ने हार चोरी नहीं करने की बात कहते हुए कसम ली। अदालत ने फैसला सुनाया कि आरोपी पक्ष को सात दिन के अंदर नुकसान नहीं हुआ, तो वह निर्दोष माने जाएंगे। जैसे ही, आरोपी पक्ष घर पहुंचा, उसके बेटे ने खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। इसके बाद आरोपी पक्ष ने भी माना कि उसने महादेव की अदालत की अवहेलना की थी, जिसकी सजा उसे मिली।
अब जानते हैं, कैसे होता है फैसला
जब भी कोई केस गिरगांव महादेव की अदालत में आता है, तो तत्काल पंचों को बुलाया जाता है। यहां 11 पंच, सरपंच व माननीय लोगों पैनल होता है। उस समय उपलब्ध पांच पंच मामले की सुनवाई करते हैं। केस लेकर आने वाले दोनों पक्ष पक्षकार, गवाह लेकर आते हैं। सबूत, गवाह व फरियादी और आरोपी की बात सुनने के बाद पंच महादेव की ओर से निष्पक्ष फैसला लेते हैं।
फैसले पर आखिरी मुहर महादेव की पिंडी की पास जाकर शपथ लेकर लगती है। इसके बाद रजिस्टर में केस को बकायदा दर्ज किया जाता है। फैसले में एक समय सीमा दी जाती है। जैसे-चोरी के मामले में आरोपी पक्ष के कसम लेने के बाद कहा जाता है कि यदि 7 दिन के अंदर उसे नुकसान नहीं हुआ, तो वह निर्दोष माना जाता है। यदि इस बीच आरोपी पक्ष का नुकसान हो जाता है, तो उसे दोषी मान लिया जाता है।
हर केस का डिटेल रिकॉर्ड
मान्यता है कि अपराधी प्रवृत्ति के लोग मंदिर की सीढ़ियां तक नहीं चढ़ते। महादेव की अदालत में हाईकोर्ट की तरह ही हत्या, हत्या के प्रयास, लूट, डकैती, चोरी, घरेलू हिंसा, चरित्र संदेह के मामले आते हैं। यहां कोर्ट की तरह ही काउंसिलिंग की जाती है। फिर गवाही, बयान और आखिर में फैसला आता है। यहां हर केस की डिटेल रिकॉर्ड रूप में सुरक्षित भी रहती है।
मिलती है सजा भी
पुजारी के मुताबिक अगर कोई दोषी साबित होता है, तो उसे सजा भी दी जाती है। सजा के तौर पर उसका सामाजिक रूप से बहिष्कार कर दिया जाता है। यही नहीं, पुलिस केस भी कराया जाता है। इसके अलावा, अगर आरोपी गुनाह कबूल कर लेता है, तो उसे क्षतिपूर्ति देनी होती है।
नहीं पता, कितना पुराना है मंदिर
मंदिर की देखरेख करने वाले महंत अमरदास महाराज का कहना है कि यह तो अभी तक कोई नहीं बता पा रहा है कि मंदिर कितना पुराना है। यहां विराजमान शिवलिंग बहुत प्राचीन है। जिस जगह मंदिर है, वहां एक पहाड़ पर शिवलिंग थी। धीरे-धीरे महादेव की महिमा बढ़ती चली गई। यह मंदिर अस्तित्व में आया। मंदिर कितना पुराना है, यह इस बारे में सटीक जानकारी नहीं है। यही नहीं, यहां अभी तक हजारों केस में महादेव फैसला सुना चुके हैं।
दूसरे राज्यों से आते हैं लोग
मंदिर में दूसरे राज्यों के लोग भी आते हैं। गिरगांव मंदिर पर ग्वालियर ही नहीं, बल्कि प्रदेश के अन्य शहरों, उत्तर प्रदेश व राजस्थान से भी लोग आते हैं। यहां वह परिवारिक मामलों को लेकर आते हैं।
एक करोड़ की जमीन दान दी
मंदिर पर शिवरात्रि पर हजारों लोग दर्शन करने आते हैं। मंदिर के प्रांगण में मेला लगता है। पहले यह मंदिर गिरगांव पंचायत में आता है, लेकिन अब शहर के विस्तार के साथ यह वार्ड-62 में शामिल हो गया है। यहां के पार्षद अशोक गुर्जर ने हाल में एक करोड़ रुपए की कीमत की 3 बीघा जमीन मंदिर को दान में दी है। इस जमीन की रजिस्ट्री भी शिव शंकर के नाम पर की गई है।
हिंदू–मुसलमान, सभी मानते हैं
गांव के पंच अमरसिंह का कहना है कि महादेव की अदालत में सभी जाति व समाज के लोग आते हैं। हिंदू के साथ मुसलमान भी महादेव की शक्ति को मानते हैं। गिरगांव और आसपास के गांव से बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लाेग भी मामले लेकर यहां आते हैं। यहां हत्या, लूट, डकैत, चोरी के मामले ज्यादा आते हैं। कुछ समय से घरेलू झगड़े व दहेज प्रताड़ना के मामले भी आने लगे हैं। राजनीति से जुड़े विवाद भी यहां आते हैं। कई बार महादेव के सामने ही तय होता है कि इस बार चुनाव के लिए किसे मौका दिया जाए।
