लोकमतसत्याग्रह/जिला खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने जिले में समर्थन मूल्य पर उपज बेचने वाले किसानों के पंजीयन के लिए 47 केंद्र बनाए हैं, लेकिन इन पंजीयन केंद्रों पर किसानों के पंजीयन नहीं किए जा रहे हैं। इस कारण 20 फरवरी तक 1375 किसानों का ही पंजीयन हो सका है, जबकि 24500 किसान अभी शेष हैं। पंजीयन कराने की अंतिम तिथि 28 फरवरी है। यदि इन किसानों का पंजीयन नहीं होता है तो इन पर आर्थिक मार पड़ सकती है, क्योंकि मंडी में गेहूं, चना, सरसों सस्ती हो जाती है तो किसानों को सस्ते दाम पर अपनी फसल बेचनी पड़ सकती है। पंजीयन नहीं होने से मंडी में ही उपज बेचनी पड़ेगी। राज्य सरकार जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूं, चना, सरसों व मसूर की खरीद करती है। अप्रैल से सरकारी तौल कांटों पर खरीद होती है। इसके लिए फरवरी में पंजीयन किए जाने की कार्रवाई की जाती है। करीब 26 हजार किसान हर साल समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के लिए पंजीयन कराते हैं। किसानों की संख्या देखी जाए तो अभी तक काफी कम पंजीयन हुए हैं। जिले में एक लाख 35 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल है।
सुस्ती के पीछे ये कारण
खाद्य विभाग ने तीन तरीके से पंजीयन की व्यवस्था की है। एप के माध्यम से, ग्राहक सेवा केंद्र व सहकारी समिति पर पंजीयन किया जा रहा है। ग्राहक सेवा केंद्र पर उन्हीं किसानों का पंजीयन हो सकता है, जिनकी जमीन आधार से लिंक है। राजस्व विभाग में आधार से जमीन को लिंक करने की कोई व्यवस्था नहीं हैं। इसलिए इस माध्यम से पंजीयन नहीं कर पा रहे हैं। द्यसहकारी समितियों पर 47 केंद्र बनाए हैं। यहां पर जमीन के दस्तावेज जमा करने के बाद आपरेटर पंजीयन कर रहे हैं। जिस समिति पर पंजीयन केंद्र बना है। आपरेटर उस समिति से संबद्ध गांव के ही पंजीयन कर रहे हैं। दूसरे गांव के पंजीयन के आवेदन को नहीं ले रहे हैं। किसान इधर से उधर भटक रहे हैं। द्यपंजीयन केंद्रों पर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारी फीडबैक नहीं ले रहे हैं। इस कारण आपरेटरों की मनमानी चल रही है।
