लोकमतसत्याग्रह/खादी ग्रामोद्योग की स्थापना के लिए लोन के रूप में दिए गए बजट को उद्यमी वापस करना ही भूल गए। प्रदेश को खाद्यी ग्रामोद्योग आयोग की ओर से लगभग 19 करोड़ की राशि उपलब्ध कराई गई थी, जिसमें 74 लाख रुपये ग्वालियर जिले में बकाया है। इस मामले में महालेखाकार की ओर से आपत्ति की जा चुकी है। सात साल में यह राशि चुकाना थी लेकिन लोन वितरण हुए और आरआरसी जारी हुए 22 साल से ज्यादा का समय हो गया है। तहसीलदारों को यह वसूली करना थी। अब अगर यह वसूली नहीं हुई तो भारत सरकार प्रदेश के खादी ग्रामोद्योग के विभिन्न मदों में से यह राशि काट सकती है।
मप्र खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की एमडी ने इस संबंध में ग्वालियर कलेक्टर को अर्दशासकीय पत्र लिखा है। यह है मामला खादी ग्रामोद्योग आयोग भारत सरकार द्वारा राज्य शासन की गारंटी पर बोर्ड को सीबीसी यानी कांर्साेटियम बैंक क्रेडिट योजना के तहत प्रदेश के हितग्राहियों को ग्रामोद्योगों की स्थापना के लिए 1996 से वर्ष 2000 के बीच 19 करोड़ 56 लाख का लोन उपलब्ध कराया था जिसको सात साल में चुकाना था। बोर्ड द्वारा आयोग के निर्देशानुसार हितग्राहियों की संपत्ति बंधक बनाने के बाद जिला प्रभारियों द्वारा संबंधितों को लोन प्रदान कराया था। इसके बाद वसूली राशि देना बंद कर दी गई और फिर आरआरसी जारी हुई। तहसीलदारों की ओर से वसूली होनी थी लेकिन नहीं हो सकी। भारत सरकार द्वारा शासन को दिए जाने वाले विभिन्न मदों से अब यह राशि काटी जा सकती है।
ग्वालियर: 10 प्रकरणों में लेना है 74 लाख रुपये
बोर्ड स्तर की समीक्षा में यह सामने आया कि ग्वालियर में 31 मार्च 2022 की स्थिति में सीबीसी योजना के दस प्रकरणों में कुल 74 लाख रुपये लेना हैं। इस मामले में कलेक्टर को लिखा गया है राजस्व अधिकारियों से वसूली कराएं।
