सीजेआई बोले- व्यावसायीकरण और बोझ वाली स्वास्थ्य प्रणाली के कारण चिकित्सा सेवाओं पर अविश्वास की स्थिति

लोकमतसत्याग्रह/भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने रविवार को कहा कि स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र के बढ़ते व्यावसायीकरण के साथ स्वास्थ्य प्रणाली पर बढ़ रहे बोझ से चिकित्सा सेवाओं पर अविश्वास और संदेह की स्थिति पैदा हो रही है। सीजेआई ने कहा कि हमें एक समाज के रूप में संरचनात्मक और नीतिगत बाधाओं को रोकने की आवश्यकता है जो स्वास्थ्य देखभाल न्याय हासिल करने के लिए अच्छी स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच को रोकता है।


19वें सर गंगा राम ओरेशन ऑफ प्रिस्क्रिप्शन फॉर जस्टिस ‘क्वेस्ट फॉर फेयरनेस एंड इक्विटी इन हेल्थकेयर’ में सीजेआई ने कहा कि समानता और निष्पक्षता प्रमुख कारक हैं जो स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को न्याय दिलाने में मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में बढ़ती सामाजिक-आर्थिक असमानताओं से वंचित समूहों के स्वास्थ्य पर असंगत असर पड़ता है।


उन्होंने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की सभा में कहा कि स्वास्थ्य देखभाल के बढ़ते व्यावसायीकरण के साथ स्वास्थ्य प्रणाली पर बढ़ रहे बोझ से चिकित्सा सेवाओं पर अविश्वास और संदेह की स्थिति पैदा हो रही है। यह आपके पेशे के लिए नई बात नहीं है, कानून के पेशे में भी अविश्वास है। लोग हमसे भी सवाल कर रहे हैं। 


पिछले साल 26 नवंबर को राष्ट्रीय कानून दिवस के अवसर पर दिए गए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के भाषण को याद करते हुए सीजेआई ने कहा कि एक तरह से वह सही हैं क्योंकि इन पेशे में देवत्व का तत्व शामिल है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने भाषण में ओडिशा के मयूरभंज जिले में अपने गांव का जिक्र किया था, जहां ग्रामीण शिक्षकों, डॉक्टरों और वकीलों को भगवान के रूप में मानते हैं।

उन्होंने कहा कि मैंने चिकित्सा में देवत्व की अवधारणा से शुरुआत की, लेकिन हमें एक आम व्यक्ति के रूप में भी समझना चाहिए कि मानव एजेंसियों के नियंत्रण से परे बहुत कुछ है। स्वास्थ्य देखभाल के इस अमानवीयकरण के परिणामस्वरूप अक्सर नागरिकों और अस्पतालों के बीच हिंसक टकराव हुआ है, जिसमें गोलीबारी की घटनाएं भी सामने आई है। यह चिकित्सा पेशेवरों के जीवन को जोखिम में डालता है और उनके लिए काम करने के लिए एक प्रतिकूल वातावरण बनाता है। यह हिंसा स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण में बाधा डालती है, जिसके रोगियों के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हिंसक टकराव का डॉक्टरों पर सबसे बुरा प्रभाव पड़ सकता है। क्योंकि वे रक्षात्मक चिकित्सा पद्धति अपनाएंगे, जिसे आप कभी नहीं चाहेंगे कि आपके डॉक्टर अपनाएं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा में न्याय को समझने का एक तरीका यह है कि स्वास्थ्य समानता होनी चाहिए और इसका मतलब है कि हर व्यक्ति को स्वस्थ रहने का समान अवसर मिलना चाहिए।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि स्वास्थ्य को सामाजिक न्याय के नजरिए से देखते हुए स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच में असमानता को दूर करने के लिए कानून का तेजी से इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि, भारत में बढ़ती सामाजिक-आर्थिक असमानताएं हाशिए के समूहों के स्वास्थ्य परिणामों को प्रभावित करती हैं। हाशिए पर रहने वाले समुदायों से संबंधित लोगों को स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने में लगातार बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान यहां सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों के प्रयासों की सराहना की, जब उन्हें रोगियों की बढ़ती संख्या को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए बिना रुके काम करना पड़ा था। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने अपने भाषण को कानून और दवाओं की पेचीदगियों पर भी केंद्रित किया और एलजीबीटीक्यू और समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और गर्भावस्था की चिकित्सा समाप्ति जैसे कई ऐतिहासिक निर्णयों का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के फैसलों को चुनौती देने वाले मामले या नीट से जुड़े मामले मेरी बेंच तक पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि आम तौर पर अदालतें नीति निर्माण के क्षेत्र में दखल नहीं देती हैं। यह राज्य का कर्तव्य है कि वह छात्रों की मांग को सुने। लेकिन, जब भी अन्याय होता है तो हस्तक्षेप करना हमारा कर्तव्य बन जाता है। नीट परीक्षा से संबंधित मुकदमों की बढ़ती संख्या लाखों छात्रों की आशाओं और आकांक्षाओं का संकेत है। चंद्रचूड़ ने कहा कि मुकदमेबाजी भारत में चिकित्सा शिक्षा में सुधार की आवश्यकता का प्रतीक भी है। कानून और चिकित्सा ये दोनों क्षेत्र निष्पक्षता, समानता और व्यक्तियों व समुदायों की भलाई से संबंधित हैं।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s