लोकमतसत्याग्रह/शहर में स्वच्छ सर्वेक्षण की क्या तैयारी है, इसकी पोल खुद नगर निगम के सिस्टम ने ही खोल दी। वाहनों की जीपीएस निगरानी के नाम पर की जा रही खानापूर्ति की शिकायतें बढ़ने पर कमांड सेंटर में अधिकारियों को निगरानी पर लगाया गया है। पिछले दो दिनों से निगम अधिकारियों ने निगरानी की और डिपो प्रभारियों को वाहनों के पीछे दौड़ाना शुरू किया तो शहर में प्रतिदिन होने वाले कचरा कलेक्शन में 60 टन की वृद्धि हुई है। शहर से पिछले दो दिनों में 550 से 560 टन कचरा निकला है, जो अभी तक 500 टन ही कलेक्ट हो पा रहा था। इसमें भी गीला कचरा साढ़े छह टन ही कलेक्ट हो रहा था, जो अब 16.5 टन तक पहुंच गया है। निगरानी के दौरान कचरा ठिए भी मिले हैं।
दरअसल, स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 को लेकर इसी माह केंद्रीय दल शहर में आकर सर्वे करेगा, लेकिन स्वच्छता की तैयारियां सिर्फ कागजों में ही चल रही थीं, इसके चलते शहर से पूरी तरह से कचरे का कलेक्शन नहीं हो पा रहा था और जगह-जगह कचरे के ढेर नजर आ रहे थे। नगर निगम आयुक्त किशोर कान्याल ने स्वच्छ सर्वेक्षण की तैयारियों को लेकर वीडियो कान्फ्रेंसिंग की व्यवस्था शुरू की और सभी डिपो प्रभारियों को जिम्मेदारी सौंपी कि वे वाहनों की निगरानी की जिम्मेदारी संभालेंगे। इसके अलावा निगम मुख्यालय में बने कमांड सेंटर में भी स्वच्छ भारत मिशन के अधिकारियों को सुबह-सुबह निगरानी करने के लिए निर्देश दिए। पिछले दो दिनों में निगरानी की व्यवस्था तेज हुई तो खुलासा हुआ कि शहर से वाकई कचरा नहीं उठ रहा था और डोर-टू-डोर टिपर वाहन भी क्षेत्र में जाने की खानापूर्ति कर रहे थे। अब नगर निगम के अधिकारी खुद इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि अभी तक सफाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता हो रही थी और निगरानी होने से कचरा कलेक्शन का आंकड़ा बढ़ा है।
शहर में टिपर वाहन घरों तक पहुंचने के बजाय सिर्फ सड़कों पर पड़ा कचरा उठाने का काम करते हैं। निगरानी शुरू होने से पहले तक ये व्यवस्था भी चौपट पड़ी हुई थी। नईदुनिया ने गत मंगलवार के अंक में च्सिर पर है सफाई का इम्तिहान, मुंह चिढ़ा रहे कचरे के ढेरज् शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर इस मामले का राजफाश किया था कि टिपर वाहन भी क्षेत्र में जाने की सिर्फ औपचारिकता कर रहे हैं। इन वाहनों को प्रत्येक वार्ड में तीन-तीन चक्कर लगाने चाहिए, लेकिन टिपर वाहन सिर्फ सड़कों पर गाना बजाते हुए निकल जाते हैं।
होली के बाद शुरू होगा मोबाइल एप
उधर आटोमेटिक निगरानी के लिए तैयार कराए जा रहे एंड्रायड बेस्ड मोबाइल एप का काम भी होली के बाद पूरा हो पाएगा। इस एप के जरिए लोग अपने वार्ड में आने वाले टिपर वाहनों की लोकेशन देख सकेंगे। हालांकि यह काम 15 फरवरी तक पूरा हो जाना था, लेकिन स्वच्छ सर्वेक्षण के दस्तावेजीकरण में व्यस्त रहने के कारण इंदौर की एजेंसी रूट तय नहीं कर पाई थी। वर्तमान में सिर्फ 80 रूट ही तैयार हो पाए हैं, जिन्हें बढ़ाकर 250 किया जाना है।
