भारत के प्रोडक्ट्स की नकल कर रही है दुनिया:डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन से 2047 तक भारत को सुपरपावर बना सकते हैं हम

लोकमतसत्याग्रह/शिक्षा से डॉक्टर, रितेश मलिक दिल से आंत्रप्रेन्योर हैं। वह भारत के दूसरे सबसे बड़े कोवर्किंग प्लेटफॉर्म Innov8 के संस्थापक हैं। यह प्लेटफॉर्म स्टार्टअप्स, कॉर्पोरेट्स , फ्रीलांसर्स और अन्य प्रोफेशनल्स को एक साथ लाता है। रितेश अब तक 60 से ज्यादा स्टार्टअप्स में निवेश कर चुके हैं। उन्होंने 2012 में अपनी MBBS की पढ़ाई के अंतिम वर्ष में ALIVE ऐप के रूप में पहला स्टार्टअप शुरू किया था, जिसे बाद में बेनेट एंड कोलमैन ग्रुप ने खरीद लिया। आज डॉ. रितेश मलिक स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के साथ ही मोहाली में प्लाक्षा यूनिवर्सिटी बना रहे हैं। आज वो बता रहे हैं कि कैसे भारत पूरी दुनिया के लिए एक प्रोडक्ट नेशन बन सकता है

भारत टैलेंट की खान है। पिछली कई सदियों में भारत ने पूरी दुनिया को कई बार दिखाया है कि ये दुनिया का सबसे इनोवेटिव देश है।

दुर्भाग्य है कि पिछले कुछ दशकों में हमारी मुश्किलों की वजह से इस क्षमता का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाया। लेकिन अब जब हम अपनी आजादी के 100 साल 2047 में पूरे करने वाले हैं…तो एक नए भारत का उदय हुआ है।

ये भारत न मांगता है, न झुकता है। ये वो भारत है जो आत्मनिर्भर होगा। भारत पूरी दुनिया के लिए सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्री नहीं, बल्कि आइडिया और इनोवेशन की फैक्ट्री बनेगा। ये सिर्फ ‌BPO और आउटसोर्सिंग कॉर्पोरेशन्स का देश नहीं होगा बल्कि हम भारत में वो प्रोडक्ट्स बनाएंगे जो पूरी दुनिया के लिए होंगे।

अगले कुछ दशकों में हम देखेंगे कि भारत में बनने वाली टेक्नोलॉजी की नकल पूरी दुनिया के डेवलप्ड और डेवलपिंग देशों में होगी। ऐसा माना जा रहा है कि अफ्रीका महाद्वीप की तरक्की में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले प्रोडक्ट्स भारत से होंगे।

भारत के बिजनेस एन्वायर्नमेंट का पूरा फायदा उठाने पर सरकार का भी फोकस है। इसी वजह से सरकार का ध्यान इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ाने और एक ऐसी अर्थव्यवस्था तैयार करने पर है जो ज्यादा ऑर्गनाइज्ड हो और बदलावों का स्वागत करे।

भारत अब सिर्फ सबसे ज्यादा इंटरनेट यूजर्स वाला देश बनकर नहीं रहेगा, बल्कि अब भारत वो देश बनेगा जहां सबसे ज्यादा आइडिया बनते और पूरी दुनिया को एक्सपोर्ट होते हैं।

भारत को एक प्रोडक्ट नेशन के तौर पर तैयार करने का सपना जरूर सच हो सकता है। स्टार्ट-अप इंडिया की इसमें अहम भूमिका है। देसी प्रोडक्ट्स की बात करें तो भारत का UPI अब एक प्लेटफॉर्म के तौर पर कई देशों में अपनाया जा रहा है।

भारत का मोबाइल पेमेंट्स इंफ्रास्ट्रक्चर दुनिया के किसी भी देश से बेहतर है। जिस तरह से हम कोविड-19 महामारी से निपटे और 220 करोड़ वैक्सीन डोज लगाए, वो बिना आरोग्य सेतु ऐप के संभव नहीं था।

140 करोड़ भारतीयों के हेल्थ रिकॉर्ड को डिजिटाइज करने का प्रोजेक्ट यानी आयुष्मान भारत मिशन, लाखों आंत्रप्रेन्योर्स को ये मौका देगा कि वो भारतीयों के लिए ऐसे प्रोडक्ट्स बनाएं जो आगे जाकर दूसरे देशों में भी अपनाए जाएं और सफल भी हों।

पेटीएम इसका बेहतरीन उदाहरण है। पेटीएम के मोबाइल इंफ्रास्ट्रक्चर ऐप को सॉफ्टबैंक के साथ जॉइंट वेंचर में पेपे के नाम से दोबारा बनाया गया। ये अब जापान का सबसे बड़ा मोबाइल पेमेंट्स ऐप्लिकेशन बन गया है। ये उन लाखों मौकों में से एक है जो आज हमारे सामने हैं। अब हमें वेस्टर्न देशों की नकल करने की जरूरत नहीं है, हम अपनी दिक्कतें खुद दूर कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, बड़े पैमाने पर सफाई रखने की दिक्कत, वेस्ट मैनेजमेंट, खेती, सबके लिए हेल्थ केयर, टेलीरेडियोलॉजी, लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर, एक वाइब्रेंट टूरिज्म इकोनॉमी बनाना, एक आत्मनिर्भर टेक्सटाइल इकोनॉमी बनाना, एक देशी कारीगरों की इकोनॉमी बनाना…ऐसी कई इंडस्ट्रीज भारत में आज हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। समय के साथ इन्हीं के इर्द-गिर्द प्रोडक्ट्स डिजाइन किए जा सकते हैं, जिससे लोकल स्तर पर जॉब्स भी तैयार होंगे। आगे जाकर यही मॉडल दूसरी डेवलपिंग इकोनॉमी में दोहराए जाएंगे।

भारत दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का कोड लैब भी बनेगा। हम अपने इंजीनियर्स की भीड़ को दुनिया के सबसे बेहतर डेवलपर्स में बदल सकते हैं जो पूरी दुनिया के लिए प्रोडक्ट्स बनाएंगे।

निजी तौर पर मैं भारत की तरक्की को लेकर बहुत आशान्वित हूं। मुझे विश्वास है कि हमारी सरकार की सही नीयत की वजह से हम 15 अगस्त, 2047 यानी 100वें स्वतंत्रता दिवस तक भारत को एक सुपरपावर में बदल सकते हैं।

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