लोकमातसत्याग्रह/मध्यप्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। बुधवार को कांग्रेस ने पुरानी पेंशन की मांग करते हुए विधानसभा से वॉकआउट कर दिया ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर भाजपा के 20 विधायकों से बात की। सभी विधायकों से एक ही सवाल था – क्या ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करना चाहिए? हां या ना? 20 विधायकों में दो ने ही खुलकर कहा- हां, लागू करना चाहिए। 13 विधायकों ने गोलमोल जवाब दिए। पांच विधायक सवाल सुनकर बिना जवाब दिए ही आगे बढ़ गए। वहीं वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का कहना है कि ओपीएस को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं है। हमने कर्मचारियों के हित में बहुत काम किए हैं।
दरअसल, वे न तो कर्मचारियों को नाराज करना चाहते हैं और न ही पार्टी लाइन के खिलाफ जा सकते हैं। वजह यह है कि ओल्ड पेंशन की मांग को लेकर प्रदेश के 22 कर्मचारी संगठन एकजुट हैं। सत्ता में आने पर ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का वादा कर कांग्रेस ने आग में घी का काम किया है। कांग्रेस इसे चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी भी कर चुकी है।
प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की संख्या 6.70 लाख है। इसमें 4.82 लाख कर्मचारी न्यू पेंशन स्कीम के दायरे में हैं, जबकि 1.88 लाख पुरानी पेंशन स्कीम में आते हैं। न्यू पेंशन वाले करीब 5 लाख कर्मचारी के परिवार वालों को जोड़ लें तो ये संख्या 20 लाख होती है। प्रदेश के 5 शहरी बहुल जिलों की 30 विधानसभा सीटों पर इनकी संख्या ज्यादा है। 2018 के विधानसभा चुनाव के परिदृश्य को देखते हुए 20 लाख वोटरों को नाराज करना बीजेपी के लिए भी आसान नहीं है। ये कुल वोटरों का लगभग 4% है।
हिमाचल चुनाव में ओपीएस बना था बड़ा मुद्दा
बीजेपी के सामने हिमाचल प्रदेश का परिणाम ताजा है। पार्टी की ओर से की गई समीक्षा में भी चुनावी हार के लिए ओल्ड पेंशन को ही कारण माना गया है। यही कारण है कि कर्नाटक सरकार ने ओल्ड पेंशन को लेकर कमेटी बनाई है। भाजपा की यह कमेटी कांग्रेस शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जाकर वहां लागू की गई ओल्ड पेंशन को समझेगी। कर्नाटक सरकार की पहल के बाद ही एमपी में भी सरकार ने एक समिति बनाई है। सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया ने 22 संगठनों की मांग पत्र को परीक्षण के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को भेज दिया है।
ओपीएस को लेकर केंद्र और एमपी सरकार का ये है रुख
- एमपी सरकार का रुख – एमपी में बजट सत्र में 15 मार्च को पुरानी पेंशन पर प्रश्नकाल के दौरान पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा के सवाल पर वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा- पुरानी पेंशन का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। मंत्री के जवाब पर कांग्रेस विधायक सदन से वॉकआउट कर गए। कमलनाथ ने कहा, हर सरकार कर्मचारियों से चलती है और अगर कर्मचारियों के साथ ही अन्याय हो तो कैसे सरकार चलेगी।
- केंद्र सरकार का रुख – केंद्र सरकार के वित्त राज्य मंत्री भगवत कराड़ सदन में कह चुके हैं कि ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
- बाकी राज्यों में ये स्थिति… राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की राज्य सरकारों ने अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (OPS) को फिर से लागू कर दिया है, जिसके बारे में उन्होंने सरकार और पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) को सूचित किया है। पंजाब सरकार ने भी 18 नवंबर, 2022 को राज्य के कर्मचारियों के लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसमें उन्हें NPS से बदलकर OPS में शिफ्ट किया गया है।
- 21 हजार करोड़ रुपए एनपीएस खाते में जमा हो चुका है
- केंद्र सरकार ने 2004 में ओपीएस के स्थान पर एनपीएस लागू किया था। मध्यप्रदेश में इसे 13 अप्रैल 2005 को लागू किया गया। 1 जनवरी 2005 या इसके बाद नियुक्त होने वाले सभी सरकारी कर्मचारी नई पेंशन योजना (एनपीएस) में शामिल हैं। अभी तक एनपीएस में 21 हजार करोड़ रुपए जमा हो चुके हैं। हर महीने 344 करोड़ रुपए प्रदेश सरकार अंशदान के तौर पर खर्च कर रही है।
- ओपीएस लागू करते हैं तो क्या खर्च आएगा
- 2005 के बाद भर्ती अधिकतर कर्मचारी 2035 के बाद रिटायर होंगे। इससे सरकार को पेंशन के तौर पर 500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार सालाना आएगा। सरकार को अभी हर महीने 344 करोड़ रुपए जमा करने पड़ रहे हैं, वे 12 साल तक जमा नहीं करना पड़ेगा।
- 4 राज्यों में लागू हो चुकी है ओपीएस
- राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाल हो चुकी है। पंजाब में नोटिफकेशन जारी हो चुका है। कर्नाटक सरकार ने ओपीएस को लेकर कमेटी बना दी है। आप सहित कांग्रेस दावा कर रही है कि एमपी और कर्नाटक में वो सत्ता में आती है, तो ओपीएस लागू कर देगी। महाराष्ट्र में ओपीएस की मांग को लेकर 18 लाख कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं।
- राज्यों को NPS की रकम लौटाने का नियम ही नहीं
- लोकसभा में एक लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री भगवत कराड ने कहा कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार और PFRDA को प्रस्ताव भेजा है कि NPS के तहत सब्सक्राइबरों की संचित राशि संबंधित राज्य सरकारों को लौटा दी जाए। पंजाब राज्य सरकार से ऐसा कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है। इन राज्य सरकारों के प्रस्तावों पर PFRDA सूचित कर चुका है कि PFRDA Act, 2013 में ऐसा कोई प्रोविजन नहीं है, जिसकी सहायता से पहले से NPS के लिए सरकार के पास जमा अंशदान को राज्य सरकारों के पास वापस किया जा सके।
- एनपीएस की पेंशन का एक उदाहरण– शिक्षक को 2,349 पेंशन
- वर्ष 1998 में माध्यमिक शिक्षक के तौर पर डिंडौरी में भर्ती हुए संतोष पटेल 62 साल की उम्र में जून 2022 में रिटायर हुए। रिटायरमेंट के समय उनका वेतन 68 हजार रुपए प्रतिमाह था। एनपीएस के तहत उन्हें 7.23 लाख रुपए एकमुश्त मिले। इसके बाद उन्हें हर महीने 2,349 रुपए की पेंशन मिल रही है।
- यदि वे ओपीएस के तहत रिटायर होते तो उन्हें ग्रेच्युटी, बीमा व अन्य मदों के तहत करीब 25 लाख रुपए एकमुश्त मिलते। इसके बाद हर माह उन्हें 37 हजार रुपए पेंशन मिलती। दरअसल, प्रदेश में 40 शिक्षकों की भर्ती 1998 में हुई, लेकिन इन्हें जुलाई 2011 से स्थाई कर्मचारी माना गया। इस कारण ये एनपीएस के दायरे में आ गए। इन सभी 40 शिक्षकों की एक जैसी कहानी है।
