लोकमातसत्याग्रह/नवम जिला न्यायाधीश ने गुरुवार को उस दावे की सुनवाई की, जिसमें नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट (वादी) ने एजी आफिस पुल की जमीन का मुआवजा मांगा है। दावे में ट्रस्ट के पंजीयन नहीं पेश किए जाने को लेकर कोर्ट ने आपत्ति की है। 25 मार्च तक ट्रस्ट के पंजीयन व संपत्तियों का विवरण पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट से सवाल किया कि क्या एजी आफिस पुल की संपत्ति ट्रस्ट की संपत्ति में शामिल है।
कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट ने एजी आफिस पुल की जमीन का चार जून 2018 को जिला न्यायालय में मुआवजे का दावा पेश किया था। दावे में तर्क दिया है कि वादी की भूमि पर शासन ने रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण कर दिया है। वादी की भूमि पर अतिक्रमण कर शासन ने निर्माण किया है। लोक निर्माण विभाग ने जो सड़क का निर्माण किया है, उसमें निजी भूमि भी चली गई है, इसलिए इस जमीन का अधिग्रहण प्रस्ताव तैयार किया जाए, जिससे जमीन का मुआवजा मिल सके। वादग्रस्त भूमि का सात करोड़ 55 हजार रुपये का मुआवजा 12 प्रतिशत ब्याज के साथ दिलाया जाए। वाद में तर्क दिया है कि 31 दिसंबर 1971 को विजयाराजे सिंधिया ने ट्रस्ट का गठन किया था। विजयाराजे सिंधिया ने वादग्रस्त भूमि ट्रस्ट को दी थी। इस ट्रस्ट की चेयरमैन माधवीराजे सिंधिया हैं। ट्रस्टी के पद पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रियदर्शनी राजे सिंधिया हैं। प्रशासन को इस मूल दावे का जवाब देना है। कोर्ट ने 10 मार्च को ट्रस्ट के स्थगन आवेदन को खारिज कर दिया था। अब दावे पर सुनवाई की जा रही है। प्रशासन की ओर से कहा गया कि दावे में ट्रस्ट के पंजीयन के दस्तावेज नहीं हैं, इसलिए यह सुनवाई योग्य नहीं है। प्रशासन की ओर से पैरवी अतिरिक्त शासकीय अधिवक्ता धर्मेंद्र शर्मा व जगदीश शाक्यवार ने की।
