MP में इन्फ्लूएंजा H3N2 की एंट्री, भोपाल में पहला केस:भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर में होगी सैंपल्स की जांच; स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी

लोकमातसत्याग्रह/मध्यप्रदेश में इन्फ्लूएंजा H3N2 की एंट्री हो गई है। इसका पहला केस राजधानी भोपाल में मिला है। ​​​​​​गुरुवार को युवक की रिपोर्ट H3N2 पॉजिटिव मिली है। ​स्वास्थ्य आयुक्त ने इस संबंध में सभी जिलों के सीएमएचओ और सिविल सर्जन को एडवाइजरी जारी की है। इसके अलावा भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में इसकी जांच की जाएगी। वहीं, अस्पताल में जरूरी उपकरण, दवाएं और मेडिकल ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।

स्वास्थ्य संचालनालय के मुताबिक 4 दिन पहले बैरागढ़ में रहने वाले 25 साल के युवक को सर्दी-खांसी की शिकायत हुई थी। उसके स्वैब का सैंपल इनफ्लुएंजा H3N2 की जांच के लिए भोपाल के एम्स भेजा गया था। गुरुवार को रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। फिलहाल युवक को घर में ही क्वारेंटाइन किया गया है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि H3N2 पॉजिटिव युवक की सेहत स्थिर है। उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं है।

शुगर, हार्ट, लिवर, किडनी, कैंसर और श्वास पेशेंट को ज्यादा खतरा

एडवाइजरी के मुताबिक छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं, शुगर, हार्ट, लिवर, किडनी, कैंसर व श्वास रोगियों H3N2 के संक्रमण का खतरा ज्यादा है। इन बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसके अलावा, संबंधित बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति इम्युनो कंप्रोमाइज्ड होते हैं। गाइडलाइन के अनुसार इम्युनो कंप्रोमाइज्ड श्रेणी के इन मरीजों को H3N2 और H1N1 का संक्रमण होने पर उनकी सेहत गंभीर हो सकती है। इन्हें अस्पताल में भर्ती भी करना पड़ सकता है।

संदिग्ध मरीज को दें टैमी फ्लू

इन्फ्लूएंजा H3N2 और H1N1 के लक्षण वाले मरीजों को ओसाल्टामिविर (टैमीफ्लू) दवा दी जाए। यह दवा उन मरीजों को दी जाए, जिनमें सीजनल इन्फ्लूएंजा ( H3N2, H1N1) के लक्षणों के साथ नए वैरिएंट की आशंका हो।

जिन इलाकों में थ्रोट इंफेक्शन के केस ज्यादावहां सर्वे कराएं

स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. सुदाम खाड़े ने संक्रमण बढ़ने से पहले सीएमएचओ और सिविल सर्जन को एडवाइजरी दी है। इसमें उन इलाकों (हॉट स्पॉट) में जहां एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (थ्रोट इंफेक्शन) के केस ज्यादा हैं, वहां सर्वे कराया जाए। यह सर्वे रेपिड रिस्पॉन्स टीम से कराया जाए, ताकि H3N2 के संक्रमण को कम्युनिटी स्प्रेड होने से पहले कंट्रोल किया जा सके।

भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में होगी जांच

H3N2 और H1N1 के संदिग्ध मरीजों के सैंपल की जांच भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में होगी। भोपाल में एम्स और गांधी मेडिकल कॉलेज स्थित स्टेट वायरोलॉजी लैब में जांच होगी, जबकि ग्वालियर में डीआरडीई और जबलपुर में आईसीएम की आरएमआरसीटी को H3N2 के नमूनों की जांच होगी। स्वास्थ्य संचालनालय के अफसरों के अनुसार प्रदेश से H3N2 के संदिग्ध मरीजों के नमूने जांच के लिए इन्हीं चार लैब में जांच के लिए भेजे जाएंगे।

मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता करें सुनिश्चित

स्वास्थ्य आयुक्त ने सभी जिलों के सीएमएचओ और सिविल सर्जन को जिला टास्क फोर्स की मीटिंग बुलाकर इलाज की तैयारियों के लिए रिव्यू के निर्देश दिए हैं। बैठक में अस्पतालों में इलाज के इंतजाम, जरूरी उपकरण, मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करें। इसके अलावा, संक्रमण मैनपॉवर मैपिंग और कोविड-19 और इन्फ्लूएंजा वैक्सीनेशन के स्टेटस का भी परीक्षण करें।

H3N2 की जांच के लिए थ्रोट स्वैब का सैंपल होगा

सर्दी, खांसी और बुखार से पीड़ित ऐसे मरीज, जिनमें H3N2 के जैसे लक्षण हैं, उनकी जांच के लिए संबंधित के गले (थ्रोट) से स्वाब लिया जाएगा। इसे H3N2 इन्फ्लूएंजा जांच के लिए चिन्हित लैब में भेजा जाए।

क्या है H3N2 वायरस

H3N2 इन्फ्लूएंजा-ए वायरस का सब टाइप है। डब्ल्यूएचओ और अमेरिका के सीडीसी के मुताबिक यह मनुष्यों में इन्फ्लुएंजा का अहम कारण है। यह वायरस पक्षियों और जानवरों को भी संक्रमित कर सकता है। पक्षियों और दूसरे जानवरों में इसके कई स्ट्रेन्स पैदा हो चुके हैं। जो श्वसन में संक्रमण पैदा करता है। इन्फ्लूएंजा ए वायरस का सब टाइप है जिसकी खोज 1968 में हुई थी।

ऐसे फैलता है

H3N2 इंफ्लुएंजा संक्रामक है, जो एक से दूसरे व्यक्ति में मुंह या नाक से निकलने वाली बूंदों के माध्यम से फैलता है। छींकने, खांसने और यहां तक कि बोलने पर जो बूंदें निकलती हैं, वह आसपास मौजूद लोगों को संक्रमित कर सकती हैं। एक संक्रमित सतह को छूने के बाद अपने मुंह या नाक को उसी हाथ से छू लेने से भी संक्रमित हो सकते हैं। बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती, जो पहले से किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, ऐसे लोगों के संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है।

जरूरी सलाह : एंटीबायोटिक के सेल्फ यूज से बचें

अक्सर कई मरीज डॉक्टरों को दिखाए बिना ही मेडिकल स्टोर पर जाकर सामान्य एंटीबायोटिक (एजिथ्रोमाइसिन, अमोक्सिक्लेव या अन्य दवाइयां) लेकर ठीक होने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं करें, क्योंकि इनमें कई वायरस में लाइन ऑफ ट्रीटमेंट अलग होता है। वहीं, कुछ मरीज जांच में वायरल इंफेक्शन के अलावा बैक्टीरियल बीमारी से भी पीड़ित निकल रहे हैं। ऐसे में मरीजों को एंटी बायोटिक्स का सेल्फ यूज करने से बचना चाहिए। डॉक्टर को दिखाने और जांच करवाने के बाद जो डॉक्टर दवाइयां लिखे उसे ही लें।

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