लोकमत सत्याग्रह,अंशुल मित्तल, ग्वालियर/ग्वालियर के संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग से के अधिकारियों द्वारा बिना यूडीआईडी धारक व्यक्तियों को भी विकलांग मानते हुए वृत्तिकर में छूट जैसे लाभ दिए जाने का मामला सामने आया है, जबकि भारत शासन के राजपत्र और राज्य शासन के पत्र दिनांक 3/11/2020 के अनुसार समस्त संबंधित विभागों को सूचित किया गया था कि सभी विकलांग प्रमाण पत्रों का नवीनीकरण कर यूडी आईडी जनरेट करने के बाद ही इस तरह के लाभ मिल सकेंगे।
अपात्र व्यक्ति को दिया गया लाभ
सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग के जिम्मेदारों द्वारा अपने पत्र दिनांक 06/03/2023 को वृत्ति कर में छूट पाने वाले व्यक्तियों की सूची जारी की गई जिसमें आकाशवाणी जिला ग्वालियर कार्यालय में स्टूडियो अटेंडेंट के पद पर कार्यरत योगेंद्र दीक्षित को 40% विकलांग बताते हुए लाभ दिया गया जबकि योगेंद्र दीक्षित का विकलांग सर्टिफिकेट वर्ष 2013 के बाद नवीनीकृत नहीं हुआ, मतलब इस व्यक्ति के पास यूडी आईडी नहीं है अर्थात यह व्यक्ति अपात्र है।
पड़ताल में सामने आया कि यह व्यक्ति अपने विभाग, जिला आकाशवाणी कार्यालय में अब तक जिस दस्तावेज को विकलांग प्रमाण पत्र बताकर काम कर रहा है वह दस्तावेज संदिग्ध है क्योंकि उस पर सिर्फ एक ही डॉक्टर के हस्ताक्षर हैं इतना ही नहीं योगेंद्र दीक्षित नामक कर्मचारी का ड्राइविंग लाइसेंस भी विकलांगता की श्रेणी मे नहीं आता। यह कहना गलत नहीं होगा कि इन्हीं कारणों के चलते योगेंद्र दीक्षित नामक शासकीय कर्मचारी की यूडीआईडी स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों द्वारा जारी नहीं की गई। लेकिन सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग की संयुक्त संचालक श्रीमती उषा पी. शर्मा द्वारा नियम विरुद्ध जाकर इस व्यक्ति को विकलांगता के लाभ प्रदान किए गए। इनके विभाग में जब जानकारी ली गई तब इनकी अधीनस्थ कर्मचारियों का कहना था कि “योगेंद्र दीक्षित द्वारा वर्ष 2013 का एक विकलांग प्रमाण पत्र विभाग को दिया गया था और यूडी आईडी अगली बार देने की बात कही गई थी!” हालांकि इस तरह के और भी मामले सामने आने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता जिसमें विभाग द्वारा अपात्र व्यक्तियों को विकलांगता का लाभ दिया गया हो।
