लोकमातसत्याग्रह/मौसम में बार-बार हो रहा बदलाव वायरल फीवर को और ताकतवर बना रहा है। कभी बारिश के बाद मौसम में ठंडक आना और कभी तेज धूप निकलने से वायरल फीवर के मरीजों की संख्या में बढ़ी है। वहीं वायरल फीवर के मरीजों में अब एलर्जी और अस्थमा की शिकायत भी देखने को मिल रही है। वायरल फीवर के करीब 20 फीसदी मरीज ऐसे हैं जिन्हें एलर्जी और अस्थमा की शिकायत हो रही है। वरिष्ठ चेस्ट फिजीशियन डॉ. उज्जवल शर्मा ने बताया कि मौसम में बार-बार हो रहे परिवर्तन की वजह से वायरस ताकतवर होने के साथ-साथ उसके नेचर में भी बदलाव देखने में मिल रहा है।
वायरस अभी तक गले के साथ-साथ कई मरीजों में फेफड़ों में भी असर दिखा रहा था,लेकिन वायरस के बदले हुए नेचर के चलते अब यह वायरस गले और फेफड़े के साथ-साथ सांस की नलियों में असर डाल रहा है। इसके चलते सांस की नलियों में सूजन की शिकायत आ रही है जिससे मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। इसके साथ ही उसे 3 से 4 सप्ताह तक जुकाम और खांसी होने की शिकायत मरीजों में देखने में मिल रही है। इन मरीजों को सामान्य खांसी, जुकाम के इलाज से लाभ नहीं हो रहा है। छाती में जकड़न, लो ग्रेड फीवर, खांसी, कफ होने के साथ सांस लेने में तकलीफ होती है। इन मरीजों को कई बार भाप देने के साथ-साथ नेबूलाइजर भी कराना पड़ रहा है। इसलिए इससे बचने के लिए अगर गले मे दर्द के साथ-हल्का जुकाम महसूस हो तो तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लेकर इलाज लेने से जल्द ही मरीज ठीक हो जाता है। देखने में आ रहा है कि मरीज मेडिकल स्टोर से दवा ले लेते हैं जिसकी वजह से बीमारी ठीक होने की बजाय और बढ़ जाती है जो कई बार घातक भी साबित होती है। जीआरएमसी के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रदीप प्रजापति का कहना है कि वायरल फीवर के केस में कमी नहीं आ रही है। इसलिए इस मौसम में बाहर का तला-भुना और खट्टा व ठंडी चीजों से परहेज रखें। गुनगुने पानी का सेवन करें और ताजा बना हुआ भोजन करें।