लोकमतसत्याग्रह/नाम का हजार बिस्तर यहां पर इलाज के नाम पर केवल मरीज के लिए केवल बेड उपलब्ध है। क्योंकि जांच से लेकर दवाएं तक मरीज को बाहर से खरीदनी पड़ती है। यह पीड़ा उस मरीज के पिता की है जिसके पेट से हजार बिस्तर अस्पताल में सर्जरी विभाग के डाक्टरों ने बीते रोज पेट से मोबाइल निकाला था। मरीज के पिता का कहना है कि वह अमायन भिंड का रहने वाला है और उसने बेटी को एक अप्रैल को हजार बिस्तर में भर्ती कराया था। डा नवीन कुशवाह ने सीटी की जांच कराने के लिए अपैक्स सेंटर भेजा। जहां पर 4700 रुपये देकर जांच कराई। बाहर से दवाएं मंगाते हैं। कई मरीजों की समस्या है। इधर गोलू नाम का बंदी 20 दिन से भर्ती है। जो खुलेआम घूमता रहता है।
मरीज क्या कहते हैं
मुझे पथरी बताई गई, जिसके चलते मैं एक अप्रैल को सर्जरी वार्ड में भर्ती हो गया। पिछले पांच दिन में ढाई हजार रुपये की दवाएं बाहर से मंगवाई जा चुकी हैं। यहां पर स्टाफ केवल ड्रिप लगा देता है, जबकि बाहर से एंटीबायोटिक व अन्य दवाएं मंगवाई जा रही हैं। खून की जांच भी बाहर के लिए लिखी गई , जिसे डाक्टरों ने अपने पास रख लिया। जबकि मेरे पास आयुष्मान कार्ड है पर खर्चा खुद करना पड़ रहा है। – गब्बर, मरीज ,मुरैना निवासी मेरी मां के पेट में पथरी है। जिसके इलाज के लिए पिछले शनिवार को भर्ती किया था। आयुष्मान कार्ड है पर दवाएं बाहर से मंगवाई जा रही हैं। सर्जरी के डाक्टर ने सलाह दी कि मेडिसिन के डाक्टर से परामर्श लें। इसके लिए मुझे मेडिसिन वार्ड में मां को लेकर जाना था, तो स्ट्रेचर के लिए भटकता रहा। इधर डाक्टर यहां आने के लिए तैयार नहीं थे और सर्जरी के डाक्टर काल पर बुलाते भी नहीं है।
धर्मेन्द्र वर्मा, मरीज के अटेंडेंट
सीधी बात : सर्जन डा नवीन कुशवाह
प्रश्न: भिंड से आई किशोरी के पेट से मोबाइल आपने ही निकाला है।
जवाब: जी हां
प्रश्न: जांच व दवाएं सब अस्पताल से दीं गईं।
जवाब: सब अस्पताल से दिया जाता है।
प्रश्न: मरीज के पिता व अन्य मरीजों का कहना है कि डा नवीन कुशवाह बाहर से दवाएं व जांच कराते हैं। मरीज की अपैक्स सेंटर से सीटी जांच कराई गई क्यों।
जवाब: यूनिट डा प्रशांत पिपरिया की है, मैंने न जांच कराई न दवाएं बाहर से मंगवाई। जो बंदी भर्ती है वह दूसरी यूनिट में है।
नोट: डा प्रशांत पिपरिया से फोन पर बात की तो उन्होंने जवाब दिया कि इस विषय में विभागाध्यक्ष डा प्रशांत श्रीवास्तव से बात करें, जब डा प्रशांत श्रीवास्तव , जीआरएमसी के डीन से भी फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया पर बात नहीं हो सकी।
सीटी मशीन चालू है, ब्लड की जांच भी हो रही हैं और दवाएं भी उपलब्ध हैं। फिर भी मरीज बाहर से दवाएं व जांच कराई जा रही तो गलत है मैं पता करता हूं। सामान्य वार्ड में बंदी क्यों भर्ती कर रखा है मैं इसकी भी जानकारी लेता हूं ।
डा वीरेन्द्र वर्मा, सहायक अधीक्षक जेएएच
आपने जो भी बातें बताई है मैं उसे दिखवाता हूं कि आखिर इस तरह की कार्यशैली क्यों अपनाई जा रही है। यदि गड़बड़ी है तो एक्शन लिया जाएगा। –
जान किंग्सली एआर, चिकित्सा आयुक्त
