लोकमतसत्याग्रह/प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंटरनेशनल बिग कैट्स अलायंस (आईबीसीए) की घोषणा करते हुए रविवार को कहा कि भारत पर्यावरण व अर्थव्यवस्था के बीच संघर्ष पर विश्वास नहीं करता, बल्कि दोनों के सह-अस्तित्व को महत्व देता रहा है। पृथ्वी पर पाए जाने वाले 7 बड़े विडाल वंशी जीवों के संरक्षण के लिए वैश्विक गठबंधन आईबीसीए को भी इसी दृष्टिकोण से बनाया गया है।
कर्नाटक राज्य मुक्त विश्वविद्यालय में हुए कार्यक्रम में पीएम ने कहा, पर्यावरण सुरक्षित रखने व जैव विविधता के बढ़ने पर ही मानवता का बेहतर भविष्य संभव है। जी20 की अध्यक्षता करते हुए भी भारत ने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के संदेश के साथ इसका ख्याल रखा है। जब कई देशों में बाघ खत्म हो रहे हैं, क्या वजह है कि भारत में यह तेजी से बढ़ रहे हैं? ऐसा भारत की परंपराओं और संस्कृति की वजह से हो रहा है। इससे पहले पीएम ने प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूरे होने पर सिक्का जारी किया।
खुली जीप में 20 किमी देखा जंगल
पीएम मोदी ने कर्नाटक के बांदीपुर टाइगर रिजर्व का रविवार सुबह दौरा किया। बांदीपुर स्थित वन विभाग के स्वागत केंद्र में शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि दी। इसके बाद वह जंगल सफारी पर रवाना हुए। सफारी व हैट पहने पीएम मोदी ने खुली जीप में 20 किमी का जंगल क्षेत्र देखा।
आजादी के 75वें साल में लौटे चीते…
पीएम ने कहा कि ‘दशकों पहले भारत से चीता विलुप्त हो गया था। हम इसे नामीबिया और द. अफ्रीका से लेकर आए। यह चीतों का पहला सफल ट्रांस-कॉन्टिनेंटल व ट्रांस-लोकेशन है। 75 साल बाद कूनो नेशनल पार्क में चार सुंदर चीता शावकों ने फिर से जन्म लिया है।’
दुनिया का सबसे बड़ा वन्य जीव सर्वे
बाघ गणना के दौरान 3,080 विशिष्ट बाघों की तस्वीरें ली गईं। यह बताता है कि गणना बेहद वैज्ञानिक ढंग से पूरी हुई। 2018 की गणना में 2,461 बाघ कैमरा ट्रैप में दर्ज हुए थे। बाघों की विशिष्ट पहचान उनके कोट-पैटर्न यानी धारियों से होती है। इसके लिए विशेष सॉफ्टवेयर काम में लिए गए। इन्हीं के आधार पर बाघों की कुल आबादी कम-से-कम 3,167 होने का आकलन वैज्ञानिक तौर पर स्थापित मानकों से दिया गया।
ताजा गणना में 6.41 लाख किमी क्षेत्र का पैदल सर्वे हुआ और 6.41 लाख ही मानव दिवस लगाए गए।
इन सभी आंकड़ों के आधार पर इसे दुनिया का सबसे बड़ा वन्यजीव सर्वे माना जा रहा है।
शिवालिक पर्वतमाला व गंगा के मैदानों में बढ़े बाघ, यूपी इसी क्षेत्र में
- 2018 में 646 के मुकाबले शिवालिक पर्वतमाला और गंगा के मैदानों में 2022 में बाघों की संख्या 804 दर्ज हुई।
- उत्तर प्रदेश और हिमाचल के कई नए क्षेत्रों में बाघ मिले। यूपी का शिवालिक वन मंडल अहम माना गया है।
- बलरामपुर, गोंडा व श्रावस्ती के सुहेलवा वन्यजीव अभ्यारण में बाघों को ज्यादा संरक्षण की जरूरत मानी गई।
कैमरा ट्रैप में कितने बाघ दर्ज
शिवालिक पर्वतमाला व गंगा के मैदान- 804
मध्य भारत के ऊंचे क्षेत्र व पूर्वी घाट – 1,161
पश्चिमी घाट – 824 n सुंदरबन – 100
उत्तर-पूर्वी पर्वतमाला व ब्रह्मपुत्र के मैदान – 194
32,588 कैमरा ट्रैप उपयोग हुए इस बार गणना में 4.70 करोड़ तस्वीरें ली गईं। पिछली बार 26,838 कैमरा ट्रैप से 3.48 लाख तस्वीरें ली गई थीं। इनमें से बाघों की 97,399 तस्वीरें थीं, यह भी 2018 में ली गई 76,651 तस्वीरों से कहीं अधिक है।
आईबीसीए में शामिल सात में पांच जीव भारत में…
जुलाई, 2019 में पीएम मोदी ने पूरी दुनिया से निवेदन किया था कि एशिया में अवैध शिकार व वन्यजीवों से जुड़े अवैध कारोबार रोकने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाएं। इसी के तहत आईबीसीए बना है। इसमें बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और पूमा का संरक्षण होगा। इनमें से पहले पांच विडाल वंशी भारत में हैं तो जगुआर व पूमा दक्षिणी व उत्तरी अमेरिका में मिलते हैं। आईबीसीए में वैज्ञानिक तौर-तरीकों से इनका संरक्षण होगा। सभी संबंधित देशों को तकनीकी मदद दी जाएगी। 97 देश आईबीसीए का हिस्सा होंगे।
