लोकमतसत्याग्रह/शहर के बीच पुराने बाजार आज भी तंग गलियों में ही बसे हैं। इन गलियों का हाल यह है कि दो बाइक सवार आमने सामने आ जाएं तो पैदल चलने वालों को एक स्थान पर खड़ा होना पड़ता है। इन गलियों में पहले भी कई बार आगजनी की घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन हर बार नगर निगम का फायर अमला सिर्फ नोटिस देकर कार्रवाई की इतिश्री कर लेता है। शहर के कई इलाकों में आज भी तंग गलियों में ज्वलनशील पदार्थों और गोदामों का संचालन किया जा रहा है।
स्थिति यह है कि यदि किसी गली में आग लग जाए या मकान धराशाई हो जाए, तो यहां आसानी से राहत नहीं पहुंचाई जा सकती। शहर की इन तंग गलियों में बड़े-बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठान तो खुल गए हैं किंतु यहां आगजनी की घटना रोकने के इंतजाम नहीं किए गए हैं। इसी तरह के हालात मोची ओली के हैं। इस गली में लगभग 50 से अधिक दुकानें हैं जहां तेजाब और गद्दों की दुकानें हैं। गली में अतिक्रमण के चलते बड़े चार पहिया वाहनों से लेकर अन्य वाहन तक इस गली में नहीं घुस पाते हैं। शहर में पिछले दस साल के भीतर आगजनी के एक दर्जन से अधिक ऐसे बड़े हादसे हुए हैं, जिनमें कई लोगों की जान जा चुकी है। 16 लाख की आबादी वाले शहर में आएदिन नए निर्माण होते जा रहे हैं, मगर शहर के बीच पुराने बाजार आज भी तंग गलियों में ही बसे हैं। शहर के मोर बाजार, दाना ओली, मोची ओली, टोपी बाजार, सुभाष मार्केट, दही मंडी, चेला जी का अखाड़ा, अग्रसेन मार्केट, झावेरी मार्केट, दर्जी ओली, चावड़ी बाजार, दाल बाजार, मुरार के बजाज खाना, रिसाला बाजार, सदर बाजार, हजीरा, किलागेट सहित कई क्षेत्रों की गलियों में बड़े स्तर पर व्यापारियों ने गोदाम बना रखे हैं। इसको लेकर दमकल अमले ने व्यापारियों को नोटिस जारी किए, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश न मिलने पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई।
