लोकमतसत्याग्रह/शाम के समय अगर आप सैर करने के लिए अपने घर के आसपास कहीं जा रहे हैं तो थोडा संभलकर, क्योंकि शहर को रोशनी देने वाली स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं और सड़कों पर चारों ओर अंधेरा पसरा हुआ है। ऐसे में इस अंधेरे का सीधा फायदा बदमाशों और असमाजिक तत्वों को मिलता है। एक ओर तो रात को सड़कों पर पसरे इस अंधेरे से दुर्घटनाएं होती ही हैं, वहीं दूसरी ओर इसकी ओट में कई लोग आपराधिक गतिविधियों को भी अंजाम देते हैं। इन दिनों शहर में नये नगर निगम आयुक्त आए हुए हैं लेकिन शायद उनका ध्यान भी इस ओर नहीं जा रहा है| यह कहना गलत नहीं होगा कि शहर अब तक स्मार्ट नहीं हो पाया है इसे सिर्फ स्मार्ट सिटी का झूठा तमगा दे रखा है।
इन रास्तों पर पसरा अंधेरा:
– एलआईसी ऑफिस वाली रोड सिटी सेंटर
– सचिन तेंदुलकर मार्ग
माधोगंज, लश्कर
– न्यू कलेक्टरेट रोड
– मेला ग्राउंड रोड
– ठाठीपुर
सड़क का एक हिस्सा ही रोशन:
गोविंदपुरी चौराहे से लेकर न्यू कलेक्ट्रेट की ओर जब आप आगे बढ़ेंगे तो देख पाएंगे कि सड़क की एक और ही स्ट्रीट लाइट लगाए गए हैं उनमें से भी कुछ स्ट्रीट लाइट खराब है यानी एक तो आधी सड़क पर रोशनी मिल रही है वह भी अधूरी…. वही अचल नाथ कालोनी मॉडल टाउन और पत्रकार कालोनी की ओर रुख करें तो वहां पर सिवाय अंधेरे और सन्नाटे के कुछ और देखने नसीब नहीं होता है|
ऐसे खराब हो जाती है स्ट्रीट लाइट
शहर के ज्यादातर हिस्सों में स्ट्रीट लाइट की समस्या है ही। स्मार्ट सिटी ने एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड को 26 करोड़ रुपए देकर शहर भर में कुल 62 हजार स्ट्रीट लाइटें लगवाई थीं। इन लाइटों के ड्राइवर और एसपीडी (सर्ज प्रोटक्शन डिवाइस) खराब हो जाते हैं, जिस कारण से यह खराब हो जाती है। समस्या इसलिए आती है कि कंपनी इन पार्ट्स की सप्लाई ही नहीं कर पा रही है।
पार्षद भी नाराज
आठ माह से मिल रहा आश्वासन
‘आठ महीने से सिर्फ आज-कल का आश्वासन दिया जा रहा है। न ताे अब तक नई स्ट्रीट लाइट मिली हैं और नहीं पुरानी लाइटों का रखरखाव हुआ है। कई बार शिकायत कर ली किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।’
-प्रमोद खरे, पार्षद वार्ड क्र. 22
थक चुके हैं शिकायतें देकर
‘स्मार्ट सिटी और नगर निगम का आपसी तालमेल ठीक नहीं है। जिसका खामियाजा आमजनता भुगत रही है। स्मार्ट सिटी की सीईओ ने कहा था कि भुगतान किया जा चुका है जल्द ही स्ट्रीट लाइट बदलवा देंगे, लेकिन जमीनी तौर पर वार्ड अभी भी अंधेरे में है।’
