लोकमतसत्याग्रह/मध्यप्रदेश की अयोध्या कही जाने वाली रामराजा की नगरी ओरछा चौथी वर्ल्ड हेरिटेज साइट बनेगी। यह अभी यूनेस्को की टेंटेटिव लिस्ट में शामिल है। परमानेंट लिस्ट में शामिल करने के लिए डॉजियर और डॉक्यूमेंटेशन का काम पूरा हो गया है। केंद्र सरकार को प्रपोजल भी सबमिट किया जा चुका है। एक साल के अंदर मांडू फिर भेड़ाघाट और STR (सतपुड़ा टाइगर रिजर्व) का प्रपोजल भी सबमिट किया जाएगा। अभी एमपी की 3 साइट्स खजुराहो, भीमबेटका और सांची के स्तूप वर्ल्ड हेरिटेज साइट है।
प्रदेश की 10 ऐसी साइट्स हैं, जिनका टेंटेटिव लिस्ट के लिए सिलेक्शन किया गया है। इनमें बुरहानपुर का खूनी भंडारा, ग्वालियर किला, बांधवगढ़ नेशनल पार्क, रॉक आर्ट चंबल गांव मंदसौर, भोजपुर मंदिर आदि शामिल हैं। पर्यटन विभाग इनके प्रस्ताव तैयार कर रहा है। टेंटेटिव लिस्ट में आने के बाद इनके परमानेंट लिस्ट में आने के रास्ते भी खुल जाते हैं।
टेंटेटिव में आने के बाद परमानेंट लिस्ट में
पर्यटन, संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव और एमपी टूरिज्म बोर्ड के प्रबंध संचालक शिवशेखर शुक्ला ने बताया कि यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट की टेंटेंटिव लिस्ट में ओरछा, जबलपुर का भेड़ाघाट, मांडू और STR है। इस लिस्ट में आने के बाद परमानेंट लिस्ट में साइट्स शामिल होती हैं। मांडू और ओरछा सालों से इस लिस्ट में थे, उसे परमानेंट लिस्ट में डालने के लिए डॉजियर और डॉक्यूमेंट का काम हाथों में लिया, जो अब एडवांस स्टेज में है। एक साल में ये प्रोसेस पूरी की जाएगी।
ओरछा : 2019 में टेंटेटिव लिस्ट में शामिल हुआ। बेतवा किनारे बसे इस छोटे से शहर में रामराजा मंदिर के अलावा अद्वितीय स्थापत्य कला के प्रतीक चतुर्भुज मंदिर, महल, छतरियां और उनमें वॉल पेंटिंग मौजूद है। यह सांस्कृतिक सूची में शामिल हैं।
मांडू : 1998 से यूनेस्को की टेंटेटिव लिस्ट में शामिल हैं, लेकिन मप्र सरकार की ओर से अभी तक डॉजियर जमा नहीं किया जा सका। यहां जहाज महल, रानी रूपमती का हिंडोला, होशंगशाह का मकबरा समेत उत्तर मध्यकाल के अनेक ऐतिहासिक महत्व के स्मारक हैं। यह भी सांस्कृतिक सूची में शामिल हैं।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व : 2021 की टेंटेटिव लिस्ट में शामिल। यह नेशनल पार्क भारत में टाइगर की आबादी का सबसे रिचेस्ट हैबिटेट होने के साथ ही 14 प्रजाति के लुप्तप्राय वन्यजीवों और 300 प्रजाति के पक्षियों का घर है। यह बायोस्फियर रिजर्व है। हजारों वर्ष पुराने शैलचित्र हैं। यह प्राकृतिक सूची में शामिल हैं।
भेड़ाघाट–लम्हेटा घाट : 2021 की टेंटेटिव लिस्ट में शामिल। संगमरमर की चट्टानों के लिए विख्यात है। यहां विश्व विख्यात धुंआधार जलप्रपात है। इसी के पास लम्हेटा घाट है। जो ठंड में प्रवासी पक्षियों का आश्रय स्थल है। यह मिश्रित सूची में शामिल हैं।
एक साल में एक ही साइट होती है परमानेंट
प्रमुख सचिव शुक्ला ने बताया कि एक साल में देश की एक ही साइट को यूनेस्को परमानेंट की कैटेगरी में शामिल करता है। हर साल विभिन्न स्टेज से 8 से 10 प्रोजेक्ट सबमिट होते हैं। इनमें से एक को केंद्र सरकार फाइनल करती है और फिर यूनेस्को को भेजती है। हमारा प्रोजेक्ट कब परमानेंट कैटेगरी में शामिल होगा, ये नहीं पता लेकिन हमने हमारा काम पूरा कर दिया है।
पिछली कॉन्फ्रेंस से लिया था सबक
16 और 17 अप्रैल को मध्यप्रदेश के भोपाल में उप-क्षेत्रीय सम्मेलन (सब-रीजनल कॉन्फ्रेंस) हुई। इसमें भारत, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव और श्रीलंका के डेलिगेट्स शामिल हुए। प्रमुख सचिव शुक्ला ने बताया कि पिछली सब रीजनल कॉन्फ्रेंस कोलकाता में हुई थी, वहां से बहुत कुछ सीखा और काम किया।
एमपी में इतनी विरासतें
- यूनेस्को की लिस्ट में 3 साइट्स खजुराहो, भीम बैठका और सांची के स्तूप।
- एएसआई (आर्कोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया) की 270 साइट्स।
- स्टेट आर्कोलॉजी की 750 साइट्स।
ओरछा–ग्वालियर की धरोहर का डेवलपमेंट प्लान के तहत
प्रमुख सचिव शुक्ला ने बताया कि किसी शहर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि हैं तो उसके इतिहास को केंद्र बिंदू रखकर ही मास्टर प्लान तैयार किए जाते हैं। यूनेस्को की मदद से ओरछा और ग्वालियर शहर की प्लानिंग कम्प्लीट हो चुकी है। सभी लोगों से चर्चा की है। एक-एक एरिया को दायरे में लिया है। प्लान लगभग तैयार हो चुका है और उसे जल्द ही लॉन्च करेंगे। इसमें मास्टर प्लान की तरह ही ऐतिहासिक धरोहर को डेवलप और संरक्षित करने का प्लान रहेगा। ताकि शहर में जो भी डेवलपमेंट हो, वह विरासत को ध्यान में रखकर ही हो। आसपास का एक से चार किलोमीटर तक का एरिया इसमें शामिल किया जा सकता है।
ग्वालियर को म्यूजिक कैटेगरी में रखने का प्रपोजल भी
क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क के तहत ग्वालियर को म्यूजिक की कैटेगरी में रख रहे हैं। ग्वालियर घराने की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रही है। इसे केंद्र में रखकर दुनिया के और ऐसे शहर जहां म्यूजिक का इतिहास हैं, उसमें शामिल किया जाएगा। देश में तीन से चार स्थान संगीत की कैटेगरी में शामिल हैं। इस साल प्रस्ताव भेज देंगे। चंदेरी को टेक्सटाइल्स के क्षेत्र में क्रिएटिव कैटेगरी में शामिल करने का प्लान है।
ऐतिहासिक नगर ओरछा में बेतवा नदी के उत्तरी किनारे पर जहां 3 महीने पहले घने जंगल के बीच मलबे का ढेर था, वहां वैज्ञानिक तरीके से जब साफ-सफाई की गई तो करीब 500 साल पुरानी 22 संरचनाएं मिलीं। 15 एकड़ में फैली ये संरचनाएं छोटे नगर जैसी हैं।
जहां छोटे-छोटे महलनुमा आवासों की नींव और ग्राउंड फ्लोर का आधा स्ट्रक्चर साबुत मिला है। राज्य पुरातत्व, अभिलेखागार और संग्रहालय संचालनालय सूत्रों का कहना है कि जंगल में साफ-सफाई का काम जनवरी में शुरू हुआ था।
