लोकमतसत्याग्रह/सायबर ठगी करने वाले ठगों के लिए फर्जी सिम और फर्जी खाते सबसे बड़े हथियार साबित हो रहे हैं। चंद रुपयों की फर्जी सिम से एक कमरे में बैठकर ठग वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। राज्य सायबर सेल के रडार पर ऐसी करीब तीन हजार सिम हैं, जिन्हें ब्लाक करवाने की तैयारी है। ठगी की अलग-अलग घटनाओं में उपयोग में लाई गई इन फर्जी सिमों का डाटा राज्य सायबर सेल ने निकाला है। इससे पहले भी राज्य सायबर सेल ने आठ हजार सिम ब्लाक करवाई थीं, वही एक नेटवर्क आपरेटर कंपनी की डिपार्टमेंट आफ टेलीकाम में शिकायत कर करीब दो लाख रुपये का जुर्माना लगवाया था। फर्जी सिम ब्लाक करवाने के पीछे राज्य सायबर सेल का उद्देश्य है, यह सिम ब्लाक होने के बाद इनका इस्तेमाल नहीं हो सकेगा, जिससे ठगी की वारदातें रुकेंगी। हालांकि फर्जी सिम बेचने वालों पर प्रभावी कार्रवाई न होने से ठग ऐसी सिम दोबारा हासिल कर लेते हैं।
आखिर कैसे फर्जी सिम और फर्जी खाते बने ठगों के हथियार:
फर्जी सिम
– राज्य सायबर सेल के मुताबिक एक निजी एजेंसी का डाटा बताता है कि 2022 में जो फर्जी सिम मिलीं, उसमें 22 प्रतिशत पश्चिम बंगाल, 9.3 प्रतिशत और एक प्रतिशत हरियाणा की थीं।
– ठग लोगों को ठगने के लिए इन्हीं सिम का इस्तेमाल करते हैं, जिससे जब पुलिस पड़ताल करे तो सिम की जानकारी दूसरे की निकले। पुलिस से बचने के लिए फर्जी सिम का इस्तेमाल किया जाता है।
फर्जी सिम दूसरे राज्यों की हैं, जबकि टारगेट मध्यप्रदेश जैसे राज्य हैं। मध्यप्रदेश के शिवपुरी, ग्वालियर की भी कई फर्जी सिम की जानकारी राज्य सायबर सेल को मिली। अलग-अलग राज्यों की ऐसी ही करीब तीन हजार सिम का उपयोग ठगी की वारदातों में हुआ। इसलिए इन्हें ब्लाक करवाने की तैयारी राज्य सायबर सेल ने की है।
फर्जी खाते
– फर्जी खातों के जरिये ठगी की रकम को ट्रांसफर किया जा रहा है। राज्य सायबर सेल से मिले आंकड़ों के मुताबिक करीब 250 बैंक खातों को ब्लाक करवाया गया है। यह वह खाते हैं, जिनमें ठगी गई रकम ट्रांसफर की गई।
इन खातों का उपयोग तो ठगों ने किया, लेकिन यह खाते दूसरों के नाम थे। जब राज्य सायबर सेल इन तक पहुंची तो अलग-अलग कहानियां सामने आई। खाते किराये पर और खाते बेचने तक के किस्से सामने आए।
– मजदूर वर्ग के लोगों को हर ट्रांजेक्शन पर कमीशन, खाता किराये पर लेकर पांच से सात हजार रुपये प्रतिमाह तक का लालच देकर ठग इनके बैंक खाते हासिल कर लेते हैं। कई खाते को दूसरों के दस्तावेज हासिल कर ठगों ने खुलवा लिए, इन्हें आपरेट यही लोग कर रहे हैं।
15 माह में क्राइम ब्रांच ने की 89 एफआइआर, हर दिन पहुंच रही औसतन तीन शिकायतें
सायबर फ्राड बहुत तेजी से बढ़ रहा है। क्राइम ब्रांच के आंकड़े बताते हैं कि 2022 में 65 एफआइआर ठगी की दर्ज हुईं, जबकि जनवरी से मार्च के बीच इस साल 24 एफआइआर दर्ज हुई। यानी 15 माह में क्राइम ब्रांच ने 89 एफआइआर ठगी की दर्ज की, जबकि हर दिन औसतन पांच शिकायतें ठगी की पहुंच रही है। पुलिस सिर्फ बड़ी ठगी की घटनाओं में ही एफआइआर दर्ज करती है। दो लाख रुपये से अधिक की ठगी के मामले में राज्य सायबर सेल में एफआइआर दर्ज होती है।
ठगों को पकड़ने में उलझती पुलिस का फोकस अब इन्हें रोकने पर
– पुलिस इसके लिए जागरुकता अभियान चला रही है। क्राइम ब्रांच के एएसपी अभी तक 105 जागरुकता कार्यक्रम कालेज, स्कूल, कोचिंग, निजी, सरकारी संस्थानों में कर चुके हैं।
– ठगी होते ही पुलिस का फोकस खाता फ्रीज कराने पर है, जिससे ठगी गई रकम को फरियादी को वापस दिलाया जा सके।
– पुलिस अब नए टूल्स, साफ्टवेयर खरीद रही है।
– नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के सायबर फारेंसिक एंड डिजिटल इंस्टीट्यूट में पुलिसकर्मियों की लगातार ट्रेनिंग करवाई जा रही है। अभी भी सायबर सेल की टीम ट्रेनिंग के लिए गई है।
– क्राइम ब्रांच की सायबर सेल और राज्य सायबर सेल में बीइ, बीसीए वाले एसआइ, एएसआइ, हवलदार, सिपाही को तैनात किया जा रहा है, क्योंकि यह टेक्नो फ्रेंडली हैं। हालांकि क्राइम ब्रांच में महज 14 पुलिसकर्मियों पर ही पड़ताल की जिम्मेदारी है।
फर्जी सिम और खाते बन चुके हैं हथियार
फर्जी सिम और फर्जी खाते सायबर ठगों के लिए सबसे बड़े हथियार बन गए हैं। हमने ऐसी तीन हजार सिम और चिन्हित की हैं, जिनका उपयोग ठगी की वारदातों में हुआ है। इन्हें ब्लाक करवाने की तैयारी कर रहे हैं। ठगों तक पहुंचने में समय लगता है, इसलिए सबसे पहले खाता ब्लाक करवाने की प्रक्रिया करते हैं। जिससे ठगी गई रकम लौट आए। जागरुकता कार्यक्रम, ठगों तक पहुंचने के लिए नए साफ्टवेयर, टूल्स मंगवाए हैं। अभी पुलिसकर्मियों को फारेंसिक यूनिवर्सिटी में ट्रेनिंग पर भी भेजा है।
सुधीर अग्रवाल, एसपी, राज्य सायबर सेल
