लोकमतसत्याग्रह/जनता को बुनियादी सुविधाओं को मुहैया कराने का जिम्मा जिस नगर निगम पर है, वहां जनता की कितनी सुनवाई होती होगी, यह महापौर की समीक्षा बैठक में बुधवार को सामने आ गया। यहां तो नौबत यह है कि महापौर से लेकर एमआइसी सदस्यों की ही सुनवाई नहीं है। हैरानी की बात यह कि महापौर डा शोभा सिरकवार ने आयुक्त हर्ष सिंह के सामने सीधा आरोप लगाया कि अफसरों और ठेकेदारों में साठगांठ है, इसलिए हर बार ठेकेदार नहीं सुन रहे हैं, यही बहाना बनाया जाता है। इतना ही नहीं बल्कि एमआइसी सदस्यों ने भी साफ-साफ कहा कि अधिकारी फोन तक नहीं उठाते हैं।
एक के बाद एक शिकायतें और पीड़ा सुनने के बाद आयुक्त अपने अफसरों को कार्रवाई करो, चेतावनी दो, यह कहते रहे। हकीकत में मन ही मन आयुक्त भी नगर निगम का रवैया समझ रहे थे। गर्मी के दिनों में पेयजल और सीवर समस्याओं का निराकरण समय से हो, इसको लेकर महापौर डा. शोभा सिकरवार ने बुधवार को बैठक में समीक्षा की। इस बैठक में शिकायतों को लेकर महापौर भड़क गईं और निगमायुक्त हर्ष सिंह की मौजूदगी में कहा कि जब भी अधिकारियों से सीवर व पेयजल की समस्या के बारे में बात करें, तो उनका एक ही जवाब रहता है कि ठेकेदार नहीं सुन रहा है। सिर्फ पूर्व विधानसभा क्षेत्र में ही काम नहीं हो रहे हैं। इस पर नगर निगम आयुक्त ने कार्यपालन यंत्री पीएचइ से कहा कि ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में पीएचइ का संधारण कार्य करने वाला ठेकेदार यदि समय पर काम नहीं कर रहा है, तो तत्काल उसको अंतिम चेतावनी का नोटिस जारी कर किसी दूसरे ठेकेदार से काम कराएं।
इसकी राशि संधारण ठेकेदार के बिल से काटी जाए। बैठक में सीवर संधारण की समस्या को लेकर एमआइसी सदस्य अवधेश कौरव ने कहा कि प्रत्येक वार्ड में तीन-तीन कर्मचारी सीवर संधारण के लिए दिए गए थे, लेकिन अब वह कर्मचारी नहीं आ रहे हैं। इसके चलते सीवर समस्याओं का निराकरण नहीं हो पा रहा है। इसको लेकर निगमायुक्त ने निर्देश दिए कि सीवर संधारण के लिए दिए गए तीन-तीन कर्मचारियों की वार्ड वार लिस्ट बनाएं तथा उनके नंबर प्रत्येक पार्षद को दें।
पार्षदों ने भी बताईं समस्याएं
पेयजल को लेकर आयोजित हुए बैठक में पार्षद नागेंद्र राणा ने कहा कि पानी का बिल जमा करने वाले उपभोक्ताओं के घरों में भी सीवरयुक्त पानी पहुंच रहा है। सुरेश नगर, मोहन नगर सहित अन्य क्षेत्रों में घरों में सीवर का गंदा पानी आ रहा है। वहीं अन्य पार्षदों का कहना था कि उनके क्षेत्र में बिना किसी सूचना के बोरिंग की जा रही हैं। दो बोरिंग दो महीने पहले हुई हैं, उनमें मोटरें डाली नहीं गई हैं। 15 दिन पहले हुई बोरिंग में मोटरें डाली जा रही हैं। इस पर निगमायुक्त ने निर्देश दिए कि जो भी ठेकेदार 24 घंटे में बोरिंग की मोटर नहीं बदल रहे हैं, उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए।
