लोकमतसत्याग्रह/सूडान में सिविल वॉर के बीच ऑपरेशन कावेरी के तहत भारतीयों को निकाला जा रहा है। इसके दूसरे दिन बुधवार देर रात 367 नागरिकों का पहला बैच सऊदी अरब के जेद्दाह से नई दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचा। एयरपोर्ट पर लोगों ने ‘भारत माता की जय, इंडियन आर्मी जिंदाबाद, नरेंद्र मोदी जिंदाबाद’ के नारे लगाए। रेस्क्यू की गई की एक बच्ची ने कहा- हम वहां किसी भी पल मारे जा सकते थे।
विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने गुरुवार को मिशन कावेरी पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमारा मकसद जल्द से जल्द अपने लोगों को सेफ जगह भेजकर उन्हें भारत लाना है। हम किसी को पीछे नहीं छोड़ेंगे।
‘सूडान में 3500 भारतीय फंसे हैं‘
सूडान में हालात बहुत नाजुक हैं। वहां अभी 3500 भारतीय और 1000 इंडियन ऑरिजिन यानी भारतीय मूल के लोग फंसे हुए हैं। उन्हें वहां से निकालने की पूरी कोशिश की जा रही है। क्वात्रा ने बताया कि भारतीयों को लाने के लिए INS तरकश भी पोर्ट सूडान पहुंच चुका है।
सूडान से अब तक 1100 भारतीयों को समुद्री और हवाई रास्ते सऊदी अरब लाया जा चुका है। इनमें से 367 भारतीय बुधवार रात जेद्दाह से नई दिल्ली पहुंचे। बाकी सभी जेद्दाह में हैं। इन्हें जल्द भारत लाया जाएगा। सूडान में सिविल वॉर के पहले तक भारतीयों की संख्या 4,000 से ज्यादा थी।
दिल्ली लौटे भारतीयों की आपबीती– हम नहीं जानते थे कि हम में से कौन जिंदा रहेगा
दिल्ली एयरपोर्ट पर सूडान से आईं ज्योति ने बताया, ‘हमें नहीं पता था कि हम में से कौन जिंदा रहेगा। हमने घरों को बमों से उड़ते देखा। ऑफिस के साथियों को बंदूक की नोक पर बंधे देखा। हम अपने साथ पैसे भी नहीं लाए, क्योंकि वहां की सेना हमें लूट और मार सकती थी।’ कुछ लोगों का कहना था कि हमारी आंखों के सामने फायरिंग हो रही थी।
एक युवक ने बताया कि हमें खाना नहीं मिल रहा था।। ऐसा 2-3 दिनों तक जारी रहा। सूडान सैन्य बल के धड़े RSF का टेंट हमारी कंपनी के पास लगाया गया था। सुबह ही सुरक्षाबल कंपनी में घुस गए और हमारे साथ लूटपाट की। उन्होंने हमें 8 घंटे तक बंधक बनाकर रखा। हमारे सीने पर राइफल रखी और हमें लूट लिया। हमारे मोबाइल-पैसे छीन लिए।
एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि हम दूतावास के संपर्क में रहे और उन्हें बसों की व्यवस्था करने के लिए कहा; क्योंकि हमारे पास डीजल था। इसके बाद हमारे पास भारतीय नौसेना के लोग पहुंचे।
INS सुमेधा और C-130J एयरक्राफ्ट से निकाले लोग
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘ऑपरेशन कावेरी के तहत सूडान से 1100 भारतीयों को अब तक निकाला जा चुका है।’ इस रेस्क्यू ऑपरेशन को नेवी के जहाज INS सुमेधा और भारतीय वायु सेना के C-130J एयरक्राफ्ट के जरिए अंजाम दिया जा रहा है।
सूडान से पहले बैच में 278 लोगों को रेस्क्यू किया गया था। दूसरे और तीसरे में 121 और 135 लोगों को निकाला गया। चौथे और पांचवें बैच में 136 और 297 लोगों को एयरलिफ्ट किया गया। वहीं गुरुवार सुबह छठे बैच में 128 लोगों को सूडान से जेद्दाह लाया गया है।
सूडान में अब तक 459 लोग मारे गए
सूडान में तख्तापलट के लिए सेना और पैरामिलिट्री फोर्स (RSF) के बीच 15 अप्रैल को लड़ाई शुरू हुई थी। वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, लड़ाई में अब तक 459 लोगों और सैनिकों की मौत हो चुकी है। 4,072 लोग घायल हुए हैं।
सूडान में 72 घंटे का सीजफायर 27 अप्रैल रात 12 बजे तक है। इस दौरान यहां से अन्य देशों को अपने नागरिकों को निकालने का समय है। हालांकि, संघर्ष विराम के बाद भी राजधानी खार्तूम समेत देश के अन्य हिस्सों में झड़पें जारी हैं।
6 पॉइंट्स में समझें सूडान में हिंसा की वजह…
- सूडान में मिलिट्री और पैरामिलिट्री के बीच वर्चस्व की लड़ाई है। 2019 में सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति ओमर अल-बशीर को सत्ता से हटाने के लिए लोगों ने प्रदर्शन किया।
- अप्रैल 2019 में सेना ने राष्ट्रपति को हटाकर देश में तख्तापलट कर दिया, लेकिन इसके बाद लोग लोकतांत्रिक शासन और सरकार में अपनी भूमिका की मांग करने लगे।
- इसके बाद सूडान में एक जॉइंट सरकार का गठन हुआ, जिसमें देश के नागरिक और मिलिट्री दोनों का रोल था। 2021 में यहां दोबारा तख्तापलट हुआ और सूडान में मिलिट्री रूल शुरू हो गया।
- आर्मी चीफ जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान देश के राष्ट्रपति और RSF लीडर मोहम्मद हमदान डागालो उपराष्ट्रपति बन गए। इसके बाद से RSF और सेना के बीच संघर्ष जारी है।
- सिविलियन रूल लागू करने की डील को लेकर मिलिट्री और RSF आमने-सामने हैं। RSF सिविलियन रूल को 10 साल बाद लागू करना चाहती है, जबकि आर्मी का कहना है कि ये 2 साल में ही लागू हो जाना चाहिए।
सिविलियन रूल यानी चुनाव के जरिए सरकार बनाना। आर्मी के मुताबिक, 2023 में चुनाव कराकर नई सरकार का गठन किया जाना चाहिए। वहीं, RSF अभी और 8
