RSS के वृंदावन मंथन में नया विचार:गैर-हिंदुओं के लिए अब हिंदुत्व नहीं, ‘भारतीयता’ का एजेंडा बढ़ाएगा संघ

लोकमतसत्याग्रह/राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने वृंदावन में तीन दिन के मंथन के बाद अपने मूल चिंतन को नया विस्तार देने का संकेत दिया है। लोकसभा चुनाव से एक साल पहले जुटे संघ प्रचारकों के इस अखिल भारतीय समागम को राजनीतिक तौर पर दिलचस्पी से देखा जा रहा है। संघ ने बौद्धिक वर्ग के कई सत्रों में हिंदुत्व की अवधारणा पर विस्तृत मंथन किया और उन वर्गों को लेकर अलग से विमर्श किया जो खुद को हिंदुत्व की विचारधारा से नहीं जोड़ते।

उनके लिए संघ ने ‘भारतीयता’ के एजेंडे पर गहराई से काम करने की रूपरेखा तैयार की है। उदाहरण के लिए संघ पंजाब में हिंदुत्व नहीं, बल्कि भारतीयता के विचार पर आगे बढ़ेगा। इससे संघ उन लोगों तक पहुंच बनाएगा, जो भारतीयता को सबसे पहले रखते हैं और धर्म, वर्ग या क्षेत्र को बाद में। इसी तरह जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्यों में काम होगा।

वृंदावन के केशवधाम में संघ के बौद्धिक प्रमुखों ने मंथन में भाग लिया। हिंदुत्व के बारे में आम मत यही रहा कि यह किसी धर्म विशेष से जुड़ी सोच नहीं है, बल्कि हिंदुस्तान के मानस को प्रकट करती है। लेकिन, बहुत से लोग हिंदुत्व को धर्म से अलग नहीं मानते। ऐसे में गैर-हिंदुओं को जोड़ने के लिए भारतीयता का एजेंडा ही सही रहेगा।

धर्मांतरण रोकना और समुदायों में भाईचारा बढ़ाना लक्ष्य
संघ प्रचारकों ने आम चुनाव को लेकर प्रत्यक्ष रूप से कोई चर्चा नहीं की। लेकिन, जनमत को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों पर गहन विमर्श किया। जबरन या लोभवश धर्मांतरण रोकना पहले की तरह ही संघ के एजेंडे में शामिल रहेगा। वहीं, दूसरी ओर समुदायों के बीच होने वाले टकराव रोकने को लेकर ठोस कदम उठाने पर भी चर्चा हुई।

सूत्र के मुताबिक केशव धाम में चल रहे तीन दिवसीय बौद्धिक वर्ग में कई मुद्दों को लेकर मंथन किया जा रहा है, जिसमें प्रमुख रूप से अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक RSS की पहुंच बनाना और उनकी समस्या का समाधान करना है। इसके अलावा आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा की गई। माना जा रहा है कि इस मंथन में लोकसभा चुनाव में RSS की क्या भूमिका हाेगी, इस विस्तार से चर्चा की जाएगी।

धर्म को मानने वाला फायदा नहीं उठातासंघ
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने भारत सरकार की सराहना करते हुए चीन और अमेरिका को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि कुछ विकसित देश अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर दूसरे देशों पर धाक जमाने की कोशिश करते हैं।

पहले रूस ऐसा करके यूक्रेन पर धाक जमाने की कोशिश कर रहा था। इसके बाद अमेरिका ने इसपर अपना अधिकार कर लिया। अब लगता है कि चीन इस काम में अमेरिका से भी आगे निकल जाएगा। बीते दिनों एक कार्यक्रम में संघ प्रमुख ने कहा कि बड़े होकर (ताकतवर बनकर) बड़े देश क्या करते हैं, डंडा चलाते हैं। अमेरिका और रूस यूक्रेन को मोहरा बनाकर लड़ रहे हैं।

रूस और अमेरिका ने भारत से पक्ष लेने को कहा था
RSS प्रमुख ने कहा कि विकसित होकर कुछ देश डंडा चलाने का काम करते हैं। रूस और अमेरिका दोनों ही देशों ने भारत से इस मामले में उनका पक्ष लेने के लिए कहा था, लेकिन भारत ने जवाब में कहा कि सभी देश हमारे दोस्त हैं और उसने सबसे पहले यूक्रेन को मदद पहुंचाने का काम किया। भारत ने दो टूक कहा था कि ये लड़ाई का जमाना नहीं है, इसलिए युद्ध बंद किया जाए।

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