लोकमतसत्याग्रह/सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाली याचिका को अब संवैधानिक 5 सदस्य पीठ को सौंप दिया है। जिसका विरोध भी देखा जा रहा है। इसी को लेकर गुरुवार को संस्कृति रक्षा मंच ने डबरा एसडीएम को राष्ट्रपति और माननीय चीफ जस्टिस के नाम ज्ञापन सौंपा। इसमें समलैंगिक विवाह को विधि मान्यता नहीं देने का आग्रह किया है।
आपको बता दें कि देश की उच्चतम न्यायालय द्वारा 2018 में समलैंगिकता को विधि मान्यता दी गई थी।जिस पर अभी 5 सदस्यीय सुनवाई चल रही है। इसको लेकर हिंदू संगठनों ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व प्रखर सिंह को राष्ट्रपति महोदय और माननीय देश के चीफ जस्टिस के नाम ज्ञापन सौंपा। इसमें समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं देने की मांग की है।
इसको लेकर आज महिला भार्गव समाज की अध्यक्ष अंजलि भार्गव ने कहा कि संस्कृति रक्षा मंच के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति एवं माननीय चीफ जस्टिस के लिए ज्ञापन दिया है। इसमें कहा कि इस समय देश में समलैंगिक विवाह पर सर्वोच्च न्यायालय तत्परता दिखा रहा है, हमारा उनसे अनुरोध है कि हमारा देश सनातन संस्कृति और परिवार का देश है। इसमें समलैंगिक विवाह का कोई कॉलम नहीं है, हम उनसे मांग करते हैं। इसे देश में लागू ना किया जाए।
3 मई को होगी सुनवाई
उन्होंने बताया है कि हम लोग वैवाहिक जीवन, गृहस्थ आश्रम की परंपरा में विश्वास रखते हैं। वहां आप त्वरित निर्णय लेकर समलैंगिक विवाह जैसी अवधारणा पर काम कर रहे हैं। इस दौरान बड़ी संख्या में हिंदू संगठनों के महिला पुरुष शामिल थे। यहां यह भी बता दें कि सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने वाली 20 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में छठे दिन की सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है कि वे बताएं कि समलैंगिक जोड़ों की शादी को कानूनी मान्यता न दी जाए तो इससे उन्हें क्या-क्या फायदा होगा। मामले की अगली सुनवाई 3 मई को होगी।
