लोकमतसत्याग्रह/स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन की पब्लिक बाइक शेयरिंग योजना फेल हो चुकी है। कार्पोरेशन ने इस मामले में योजना का संचालन करने वाली याना कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने की प्रक्रिया शुरू की है। इसके साथ ही इस योजना को दोबारा शुरू करने की संभावना तलाशी जा रही है। इसमें एक विकल्प के तौर पर इन पब्लिक बाइक को ई-बाइक के रूप में कन्वर्ट करने की संभावनाएं देखी जा रही हैं। इसका कारण यह है कि शहर में ई-बाइकों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन भी इस क्षेत्र में कूदने की तैयारी कर रहा है। इन पब्लिक बाइक को ई-बाइक में कन्वर्ट करने से एक तरफ पब्लिक ट्रांसपोर्ट के रूप में नया विकल्प खुलेगा, वहीं शहर के प्रदूषण स्तर में भी कमी आएगी।
ग्वालियर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कार्पोरेशन ने वर्ष 2017-18 में पांच करोड़ रुपये की लागत से पब्लिक बाइक शेयरिंग प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। इसके तहत 500 पब्लिक बाइकों के लिए शहर में विभिन्न स्थानों पर डाक स्टेशन बनाए गए थे। इन पब्लिक बाइकों को मोबाइल एप के माध्यम से स्लाट बुक कर संचालित किया जाता था। पब्लिक बाइकों में आटोमेटिक लाक थे और उन पर बारकोडिंग की गई थी। बारकोड को मोबाइल एप से स्कैन करने पर ही लाक खुलते थे। शुरू में इस प्रोजेक्ट को अच्छी राइडरशिप मिली थी, लेकिन फिर धीरे-धीरे लोगों का रुझान कम होता गया। इस प्रोजेक्ट का संचालन करने वाली याना कंपनी पर भी नगर निगम ने अवैध विज्ञापन के मामले में 1.62 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया, तो कंपनी ने पूरी तरह से प्रोजेक्ट का संचालन बंद कर दिया। इसके चलते स्मार्ट सिटी ने कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने की कार्रवाई शुरू कर दी है और इस प्रोजेक्ट में फिर से जान फूंकने की तैयारी की जा रही है।
भोपाल और दिल्ली में चल रहीं ई–बाइक्स
इस मामले में ग्वालियर स्मार्ट सिटी ने अन्य शहरों के माडल को अपनाने की तैयारी की है। दरअसल, भोपाल में भी स्मार्ट बाइक के प्रोजेक्ट में दिक्कतें आई थीं। इसके चलते वहां गत फरवरी माह में ई-बाइक माडल शुरू कराया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसका लोकार्पण किया था। ठीक इसी तरह से दिल्ली में भी ई-बाइक कल्चर आया है। वहां भी लोग इसी तरह से ई-बाइक लेकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक जा सकते हैं। चूंकि इन बाइकों में जीपीएस लगा होता है, इस कारण इनकी निगरानी भी आसानी रहती है।
मोटर लगाने का देख रहे विकल्प
हाल ही में स्मार्ट सिटी ने इन पब्लिक बाइकों के संचालन के दोबारा टेंडर करने की प्रक्रिया शुरू की है। इसकी शर्तें तैयार की जा रही है कि कार्पोरेशन के पास पहले से मौजूद पब्लिक बाइकों के संचालन व संधारण की जिम्मेदारी कोई कंपनी ले। इसी में यह भी विकल्प देखा गया है कि इन पब्लिक बाइकों में मोटर लगाकर इन्हें ई-बाइक में तब्दील किया जा सके। इसके लिए एक पब्लिक बाइकों पर अधिकतम चार हजार रुपये का खर्च आएगा, लेकिन यह तय है कि इनकी राइडरशिप पिछली बार के मुकाबले काफी बढ़ जाएगी।
ई–बाइक का विकल्प देख रहे हैं
पब्लिक बाइक शेयरिंग को दोबारा शुरू करने के लिए हम प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए जल्द ही टेंडर प्रक्रिया की जाएगी। हम यह भी विकल्प देख रहे हैं कि इन पब्लिक बाइकों को ई-बाइक्स में बदल दिया जाए। अन्य शहरों में भी ऐसा हुआ है और अच्छा रिस्पांस मिला है। हम भी इस पर काम कर रहे हैं।
नीतू माथुर, सीईओ ग्वालियर स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन
