तीन देह के भरोसे 200 मेडिकल छात्र, वर्चुअल डिसेक्शन मशीन अब तक नहीं मिली

लोकमतसत्याग्रह/गजराराजा मेडिकल कालेज का एनाटोमी विभाग कैडेवर (चिकित्सा शोध के लिए दान की गई मानव देह) की कमी से जूझ रहा है। यहां मेडिकल के छात्रों को मानव शरीर की संरचना का अध्यन कराया जाता है। दो सौ मेडिकल छात्रों के बीच महज तीन कैडेवर मौजूद हैं, जबकि जरूरत हर साल 20 कैडेवर की होती है। इसलिए मानवीय संरचना सीखने में परेशानी भी उठानी पड़ रही है। चिकित्सा छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहे बुरे असर को लेकर प्रदेश सरकार आंख मूंदकर बैठी है। पिछले दो साल से शरीर विज्ञान (एनाटामी) की पढ़़ाई के लिए छात्रों को डिसेक्शन के लिए वर्चुअल मशीन उपलब्ध कराने की बात कर रही है। अब तक यह मशीन उपलब्ध नहीं कराई जा सकी। इसका असर गजराराजा मेडिकल कालेज सहित प्रदेश के सभी 13 मेडिकल कालेज और आयुर्वेद कालेजों पर भी पड़ रहा है। क्योंकि इन स्थानों पर भी कैडेवर की समस्या बनी हुई है।

वर्चुअल मशीन के फायदे

1. वर्चुअल मशीन पर मानव अंग की पूरी जानकारी अपलोड होती है।

2. वर्चुअल मशीन टेबल या फिर दीवार पर लगाई जा सकती है।

3. हाल में दूर -दूर एक साथ कई बच्चे बैठकर वर्चुअल मशीन पर मानव अंगों के बारे में सीख सकते हैं।

4. मानव अंगों की बारीकी से अध्ययन किया जा सकता है।

मंत्री ने कहा था जल्द मिलेगी

चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पिछली बार सभी 13 सरकारी मेडिकल कालेजों के एनाटामी विभागाध्यक्षों से जनवरी 2021 में वर्चुअल डिसेक्शन मशीन के लिए सहमति मांगी थी, जो तत्काल भेज दी गई थी। एक मशीन की कीमत करीब तीन करोड़ रुपये है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा था कि मशीनें मेडिकल कालेजों को जल्द उपलब्ध कराई जाएंगी। लेकिन दो साल का वक्त बीतने के बाद भी मशीनें नहीं मिल सकी। इस बार फिर शासन स्तर से आवश्यक उपकरणों की डिमांड मांगी गई तो एनाटोमी विभागाध्यक्ष ने दो दिन पहले ही वर्चुअल मशीन की मांग भेजी है।

डिसेक्शन मशीन बहुत जरूरी

कोविड के दौरान अलग थलग बैठाकर डिसेक्शन के लिए वर्चुअल मशीन की मदद से मानव अंग की संरचना को सिखाया जाना था। इसके लिए इस मशीन की मांग की जा रही थी। तब जीआरएमसी में छात्रों की संख्या 180 थी, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 200 हो चुकी है। कैडेवर की उपलब्धता बढ़ नहीं रही है। विभागाध्यक्ष का कहना है एक कैडेवर से 65 छात्रों को शरीरिक संरचना सिखाई जानी है। इससे छात्रों के अध्यन पर प्रभाव पड़ेगा। क्योंकि प्रोटोकाल के हिसाब से दस छात्रों के लिए एक कैडेवर की उपलब्धता होनी चाहिए।

कैडेवर की स्थिति क्या है

मुझे इसके बारे में अधिक जानकारी तो नहीं है, लेकिन यह अच्छा कदम है। यदि वर्चुअल मशीन की उपलब्धता होती है तो मेडिकल छात्रों को मानवीय संरचना सीखने में आसानी होगी। मैं इस विषय में जानकारी लेता हूं कि क्या स्थिति है। फिर आपको बताता हूं।

जान किंग्सले एआर, आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा

एक बार फिर से प्रदेश सरकार ने वर्चुअल मशीन की डिमांड मांगी थी, जिसे दो दिन पहले ही भेजी गई है। एक पत्र डीन को भी दिया है। यदि वर्चुअल मशीन मिल जाती है तो इससे कैडेवर की परेशानी दूर हो जाएगी। अभी केवल तीन पूरे और तीन अधूरे कैडेवर उपलब्ध हैं। इन पर 200 छात्र शरीरिक संरचना को सीखेंगे।

डा सुधीर सक्सेना, विभागाध्यक्ष, एनाटोमी जीआरएमसी

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